BILASPUR NEWS. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदले जाने के विरोध में रविवार को बिलासपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। कांग्रेस भवन से नेहरू चौक तक जुलूस निकाला गया, जिसमें केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर मनरेगा के नाम परिवर्तन का विरोध दर्ज कराया।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह प्रदर्शन इस सप्ताह भर में केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस का चौथा विरोध प्रदर्शन है। धरना–प्रदर्शन में पूर्व विधायक सियाराम कौशिक, कांग्रेस नेता विजय केशरवानी, विजय पांडेय, समीर बबला, जावेद मेमन, संतोष दुबे, गायत्री लक्ष्मीनाथ साहू और शिल्पी तिवारी सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए।

कांग्रेस शासन में शुरू हुई थी मनरेगा
शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सिद्धांशु मिश्रा और जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेंद्र गंगरी ने बताया कि गरीब जनता को 100 दिन का रोजगार देने के उद्देश्य से मनरेगा की शुरुआत वर्ष 2006 में कांग्रेस शासनकाल में की गई थी। योजना का मूल उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और ग्रामीण परिवारों को नकद आय उपलब्ध कराना था।

योजना को कमजोर करने का आरोप
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने न केवल योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया है, बल्कि योजना को धीरे-धीरे समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने दावा किया कि मनरेगा के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला 90 प्रतिशत अनुदान घटाकर 60 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे योजना की प्रभावशीलता प्रभावित हुई है।

कांग्रेस का कहना है कि नई व्यवस्था में ऐसे कई बदलाव किए गए हैं, जिनसे मनरेगा का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो गया है। नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कांग्रेस शासनकाल में शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं को जानबूझकर निशाना बना रही है। कांग्रेस ने चेतावनी दी कि यदि मनरेगा के नाम और स्वरूप में किए गए बदलाव वापस नहीं लिए गए, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
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