RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले सरगुजा जिले के मैनपाट में आज नए बॉक्साइट खदान के लिए गहमा-गहमी माहौल के बीच जनसुनवाई हुई। आपको बता दें कि जनसुनवाई से पहले ही ग्रामीणों ने मैनपाट में नए बॉक्साइट खदान नहीं खोले जाने को लेकर इसका जमकर विरोध करते हुए नारेबाजी की। नया बॉक्साइट खदान डलने से मैनपाट के पर्यावरण में विपरीत प्रभाव पड़ने का आरोप लगाते हुए इसका खुलकर विरोध किया है।

वहीं इस दौरान अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह और मैनपाट डीडीसी क्षेत्र क्रमांक 14 की जिला पंचायत सदस्या रतनी नाग की उपस्थिति में ग्रामीणों ने मैनपाट में नया बॉक्साइट खदान खोलने को लेकर किए जा रहें जनसुनवाई में मोर्चा खोलते हुए खुलकर इसका विरोध किया है।

दरअसल मैनपाट के ग्राम सपनादर से लगे 171.136 हेक्टेयर प्रस्तावित भूमि और हाथी प्रभावित क्षेत्र ग्राम कंडराजा के 135.223 हेक्टेयर प्रस्तावित भूमि में सीएमडीसी द्वारा खोले जा रहें नए बॉक्साइट खदान को फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव पारित कर इसे बिना ग्रामीणों के सहमति लिए बिना ही डालना बताया है। विदित हो कि मैनपाट के ग्राम कंडराजा में नए बॉक्साइट खदान के लिए पहली जनसुनवाई बीते रविवार को मैनपाट के ग्राम नर्मदापुर आयोजित की गई थी।

वहीं आज यानी मंगलवार को ग्राम सपनादर इलाके में नए बॉक्साइट खदान के लिए कमलेश्वरपुर इलाके में जनसुनवाई प्रशासन द्वारा आयोजित की गई थी। जिसमें ग्रामीणों ने आज भी इसे खोले जाने को लेकर अपनी असहमति दी है। वहीं इससे पहले मैनपाट के ग्राम नर्मदापुर में हुए पहली जनसुनवाई का पहले ही ग्रामीणों ने विरोध कर इसका मोर्चा खोला था।
वहीं पूरे मामलें में ग्रामीणों और अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह और मैनपाट डीडीसी रतनी नाग ने मीडिया से खास बातचीत में बताया कि मैनपाट में पर्यटन और खदान दोनों को एक साथ बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है, इसलिए वे नए बॉक्साइट खदान के लिए राजी नहीं है, लेकिन CMDC की आड़ में मां कुदरगढ़ी एल्युमिना रिफायनरी कंपनी के लोग फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव पारित करके केवल जनसुनवाई की आड़ में बाहरी लोगों को बुलवाकर नए बॉक्साइट खदान खोलने के लिए सहमति दिलवा रहें है। जबकि वे नए बॉक्साइट खदान खोलने को लेकर राजी नहीं है।

मैनपाट में नया बॉक्साइट खदान खुलता है तो मैनपाट के वातारण में विपरीत प्रभाव पड़ेगा और उनकी आने वाली पीढ़ी हरियाली नहीं देख पाएगी। वहीं दूसरी ओर पूरे मामले में प्रशासन के अधिकारियों का ऑफ कैमरा कहना है कि ग्रामीणों की आपत्ति और अनापत्ति दर्ज करने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी।



































