INDORE NEWS. मध्य प्रदेश में अर्बन मोबिलिटी की पहचान बना इंदौर का बीआरटीएस कॉरिडोर अब शहर के इतिहास का हिस्सा बन जाएगा। हाई कोर्ट और राज्य सरकार की मंजूरी के बाद इसे हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। नगर निगम ने इसके लिए एजेंसी भी तय कर दी है।
साल 2013 में 11.47 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस कॉरिडोर की शुरुआत लग्जरी बसों के साथ हुई थी। करीब 300 करोड़ रुपए की लागत से बना यह प्रोजेक्ट शुरुआत में इंदौर की “लाइफ लाइन” कहा जाता था। हर दिन हजारों लोग इन बसों से सफर करते थे, जिससे शहर को आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट का नया रूप मिला।

जाम और ट्रैफिक दबाव ने घटाई उपयोगिता
समय के साथ यह कॉरिडोर धीरे-धीरे ट्रैफिक के लिए परेशानी का कारण बनने लगा। कई स्थानों पर जाम की स्थिति आम हो गई। कई बैठकों के बाद अधिकारियों ने सड़कों को चौड़ा करने और बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का निर्णय लिया।
2.55 करोड़ में तय हुआ हटाने का ठेका
नगर निगम ने बीआरटीएस हटाने का ठेका चौथी बार जारी किया। पहले तीन बार कोई एजेंसी काम लेने आगे नहीं आई थी। आखिरकार राजगढ़ की एक एजेंसी को 2.55 करोड़ रुपये के बदले यह काम सौंपा गया है। इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि बीआरटीएस के उपकरण और सामग्री इसी एजेंसी के पास रहेगी, जबकि वह यह राशि नगर निगम को अदा करेगी।

केंद्र सरकार की योजना के तहत बना था कॉरिडोर
जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) योजना के तहत केंद्र सरकार ने इंदौर और भोपाल जैसे चुनिंदा शहरों में बीआरटीएस मॉडल लागू किया था। इंदौर में इसके संचालन के लिए ‘अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड’ कंपनी बनाई गई थी।शुरुआत में इसे बनाने की लागत करीब 90 करोड़ रुपए आंकी गई थी, जो बाद में बढ़कर लगभग 300 करोड़ तक पहुंची। आधुनिक और लग्जरी बसों ने इसे शहर का आकर्षण बना दिया था, और हर दिन 60 से 65 हजार यात्री इसमें सफर करते थे।

हाई कोर्ट का आदेश बना निर्णायक मोड़
इस साल फरवरी में भोपाल बीआरटीएस को हटाने के आदेश के साथ ही इंदौर बीआरटीएस को भी हटाने का फैसला किया गया। कोर्ट ने कहा कि “कॉरिडोर के कारण सड़क पर यातायात का दबाव बढ़ा है और लोगों को परेशानी होती है।” इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोटवानी द्वारा दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया और कॉरिडोर की उपयोगिता की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था।

ग्रीन कॉरिडोर, आधुनिक सुविधाएं और यात्रियों की यादें
एक दशक से ज्यादा समय तक यह कॉरिडोर विद्यार्थियों और ऑफिस जाने वालों की जरूरत बना रहा। यहां ऑफ बोर्ड टिकटिंग, एटीएम वेंडिंग मशीन, फ्री वाई-फाई जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध थीं। वर्तमान में इस रूट पर 30 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, जिनसे रोजाना लगभग 40 हजार यात्री यात्रा करते हैं।



































