BILASPUR NEWS. औद्योगिक संयंत्रों में फैल रहे प्रदूषण से श्रमिकों के बीमार होने के गंभीर मामले पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपना लिया है। अदालत ने उन 37 उद्योगों को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया, जिन्हें अब तक प्रतिवादी नहीं बनाया गया था। कोर्ट ने साफ कहा है कि मामले की गहराई से जांच और जवाबदेही तय करना जरूरी है। अगली सुनवाई 15 दिसंबर 2025 को होगी।

प्रदेश के कई औद्योगिक इलाकों में श्रमिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे दुष्परिणाम को लेकर दाखिल जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है। कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नरों ने अलग-अलग संयंत्रों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट पहले ही जमा कर दी थी। अब मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी—सुधार लाएं, नहीं तो कार्रवाई तय
डिवीजन बेंच ने न्यायालय आयुक्तों से कहा कि 37 शेष विद्युत संयंत्रों की रिपोर्ट भी पेश करें। साथ ही, पहले से प्रतिवादी बने कई उद्योगों द्वारा न्यायालय आयुक्तों को सहयोग न करने पर भी नाराजगी जताई।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायालय आयुक्तों की रिपोर्ट में बताई गई कमियां और खामियों पर सुधारात्मक कदम उठाना अनिवार्य है।कुछ संयंत्र सहयोग नहीं कर रहे हैं, जो गंभीर चिंता का विषय है। राज्य सरकार की प्रस्तावित नीति निर्माण प्रक्रिया में भी न्यायालय की सहायता की जाएगी।

कोर्ट ने भरोसा जताया कि सभी उद्योग और विभाग सहयोग करेंगे, ताकि श्रमिकों के स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा रोका जा सके।




































