BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में TET/TDTD को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पदोन्नति प्रक्रिया में TET को अनिवार्य न करने पर शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। दीनेश कुमार साहू सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि स्कूल शिक्षा सेवा भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 में संशोधन न करके राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की है।

याचिका में कहा गया है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की अनिवार्यता शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 23(1), NCTE की अधिसूचना और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार आवश्यक है। फिर भी राज्य सरकार ने पदोन्नति नियमों में इसे शामिल नहीं किया, जिससे पात्र शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर 2025 के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि जिन शिक्षकों की सेवा पांच वर्ष से कम है, वे बिना TET पास किए सेवा में बने रह सकते हैं। लेकिन पदोन्नति के लिए TET पास करना अनिवार्य है। जिन शिक्षकों की सेवा पांच वर्ष से अधिक है, उन्हें दो वर्षों के भीतर TET पास करना जरूरी है, अन्यथा उन्हें सेवा से वंचित किया जा सकता है या अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है।
इसके साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट के 16 सितंबर 2025 के आदेश का भी संदर्भ दिया गया, जिसमें कहा गया कि 1 सितंबर 2025 से पहले TET/CTET पास करने वाले शिक्षक सेवा में बने रहेंगे, जबकि बाकी को दो वर्ष का समय दिया जाए।

मामले की सुनवाई के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने को कहा है कि TET को पदोन्नति में अनिवार्य बनाने पर उसका पक्ष क्या है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और नियमों के अनुरूप अपनी स्थिति स्पष्ट करे।

उधर, छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक संघ एवं समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष रविंद्र कुमार राठौर ने कहा कि राज्य सरकार को तुरंत TET से संबंधित नियमों पर पुनर्विचार करना चाहिए और अन्य राज्यों की तरह पुनर्विचार याचिका भी दायर करनी चाहिए।हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई तक राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है।




































