PURNIA NEWS. बिहार के पूर्णिया विधानसभा सीट पर इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। कांग्रेस ने यहां से जितेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है। वही, जितेंद्र यादव जिन्हें कुछ महीने पहले जदयू से निकाल दिया गया था। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने पप्पू यादव की मदद की थी।
दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों और एनडीए प्रत्याशी को हराने के आरोप में उन्हें पप्पू यादव को फायदा पहुंचाने का दोषी बताते हुए निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद तीन महीने पहले ही वह कांग्रेस में शामिल हुए थे। जितेंद्र यादव का पूर्णिया में मजबूत जनाधार है।
पत्नी विभा कुमारी हैं शहर की मेयर
उनकी पत्नी विभा कुमारी शहर की मेयर हैं। जदयू छोड़ने से पहले वे पार्टी के प्रदेश महासचिव और संतोष कुशवाहा के करीबी रहे हैं। कांग्रेस के अंदरूनी हल्कों में यह चर्चा है कि पार्टी ने टिकट वितरण में स्थानीय समीकरणों के साथ-साथ पप्पू यादव के प्रभाव को भी ध्यान में रखा है।
पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (JAP) सीमांचल में सक्रिय है और वे खुद पूर्णिया से सांसद हैं। हालांकि, इस बार वे दिवाकर यादव को टिकट दिलाने की कोशिश कर रहे थे। मगर, कांग्रेस हाईकमान ने जितेंद्र पर भरोसा किया।
बीजेपी ने विजय खेमका को उतारा
इस सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर अपने दो बार के विधायक विजय कुमार खेमका को उतारा है। उन्होंने साल 2015 और 2020 दोनों चुनावों में कांग्रेस की इंदु सिन्हा को लगभग 32 हजार वोटों से हराया था। बताते चलें कि पिछले लगातार तीन चुनावों यानी 2010, 2015, 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में यह सीट बीजेपी के कब्जे में रही है।
लिहाजा, कांग्रेस की यह नई रणनीति दलित-पिछड़ा और यादव समीकरण को साधने की कोशिश मानी जा रही है। कुल मिलाकर, पूर्णिया की लड़ाई अब त्रिकोणीय होती दिख रही है। बीजेपी के विजय खेमका, कांग्रेस के जितेंद्र यादव और पप्पू यादव गुट के स्थानीय असर के बीच मुकाबला काफी रोचक बनने जा रहा है।