RAJNANGAON NEWS. देश में माओवादियों को फिर एक बड़ा झटका लगा है। माओवादियों के पोलित ब्यूरो एवं केंद्रीय कमेटी के सदस्य वेणुगोपाल भूपति उर्फ सोनू ने अपने अन्य 60 साथियों के साथ हथियार सहित महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में आत्मसमर्पण कर दिया है। यह अब तक के सबसे बड़े आत्म समर्पण में से एक माना जा रहा है क्योंकि किसी पोलित ब्यूरो के नेतृत्व में हथियार सहित आत्म समर्पण करने का मामला पहला है।

पिछले कुछ दिनों में संगठन के भीतर वेणु गोपाल पर अन्य केंद्रीय कमेटी सदस्यों के बीच विवाद सामने आ चुका है लेकिन इस आत्म समर्पण के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार तय समय सीमा में अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंच सकती है।

देश में माओवादियों के संगठन को एक और बड़ा झटका तब लगा, जब वेणु गोपाल उर्फ भूपति ने अपने साथियों के साथ महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में आत्मसमर्पण किया है। पुलिस ने इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं की है लेकिन इसकी आत्म समर्पण की पुष्टि छत्तीसगढ़ पुलिस के अधिकारी अपरोक्ष रूप से कर रहे हैं। इन आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में माड़, गढ़चिरोली, उत्तर बस्तर एवं पूर्वी बस्तर के नक्सली बताई जा रहे हैं। ऐसे में अबूझमाड़, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर जिले लगभग नक्सल मुक्त होने की तरफ बढ़ चुके हैं। यह देश को नक्सली मुक्त बनाने की तरफ सरकार की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

अब सवाल उठता है कि आखिर यह आत्मसमर्पण इतना महत्वपूर्ण क्यों है? यह समर्पण उस समय हुआ है जब नक्सल संगठन पूरी तरह से बिखरा हुआ है। नक्सलियों का वह गुट जिसकी ताकत कम है, जमीन में पकड़ सीमित है, ऐसे नक्सली निरंतर पत्र जारी कर नक्सली गतिविधियां जारी रखने की बात कह रहे हैं और सरकार से युद्ध जारी रखने का दावा कर रहे हैं।

असल में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना के अधिकांश हिस्सों पर निरंतर सुरक्षा और ऑपरेशन संचालित करने वाले बड़े नक्सली कमांडर्स इस आत्मसमर्पण के साथ नक्सली गतिविधियों से बाहर हो गए हैं। इसका बड़ा असर इस तरह पड़ सकता है कि दक्षिण पश्चिम बस्तर में बचे हुए स्थानीय नक्सली भी आत्मसमर्पण कर दें। इससे नक्सलवाद बस्तर से समय से पहले भी समाप्त हो सकता है। महाराष्ट्र इस आत्मसमर्पण के साथ पूरी तरह नक्सली मुक्त हो गया है।
छत्तीसगढ़ में केवल अब इसके बाद दक्षिण, पश्चिम बस्तर दो डिवीजन बाकी है। इन पर भी लगाम लगाने के लिए कर्रे गुट्टा के नजदीक ताड़पाला में पुलिस ने एक नया कैंप खोला है। बीजापुर में यह कैंप निर्णायक लड़ाई की तरफ एक और कदम है। सरकार ने आत्मसमर्पण की डेडलाइन भी तय कर दी है और इसके बाद सीधे नक्सलियों को सिर्फ दक्षिण और पश्चिम बस्तर के मोर्चे पर चुनौती दी जाएगी। अधिकांश बड़े नक्सलियों की मौजूदगी अब कर्रेगुट्टा में बताई जा रही है। ऐसे में नक्सलियों के पास मुकाबला के लिए ना हथियार है और ना संगठन केवल छुटपुट घटनाएं अंजाम देकर नक्सली अपनी ताकत दर्ज करवाने की कोशिश कर रहे हैं। बीजापुर में आईडी ब्लास्ट और भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता की हत्या इसका उदाहरण है। प्रदेश के गृहमंत्री ने साफ कहा है कि इन पर भी जल्द लगाम लगा दी जाएगी।

गौरतलब है कि 5 महीने पहले वेणुगोपाल की पत्नी तारक्का ने भी गढ़चिरौली में आत्मसमर्पण किया था। इस नक्सली पर छत्तीसगढ़ में 30 लाख जबकि विभिन्न राज्यों को मिलाकर इनाम दो करोड़ रुपए से अधिक जा सकता है। जिसकी सूचना अभी विभिन्न राज्यों में इसके आपराधिक रिकॉर्ड के आधार पर निकाली जा रही है।