KORBA NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा में धूल, फ्लाई ऐश, प्रदूषण और जर्जर सड़कों से हो रही जन-पीड़ा पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने माना कि सड़कों की बदहाली ही प्रदूषण, जाम और हादसों की प्रमुख वजह है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कंपनियों और लोक निर्माण विभाग (PWD) को दो सप्ताह के भीतर स्थायी समाधान का रोडमैप तैयार कर पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अब कोरबा की जनता को धूल-डस्ट और जर्जर सड़कों से राहत मिलनी चाहिए।

कोर्ट कमिश्नर रविंद्र शर्मा की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि माणिकपुर माइंस तक जाने वाली सड़कों पर कीचड़, धूल और फ्लाई ऐश की मोटी परत जमा है, जिससे हर वक्त हादसों का खतरा बना रहता है। भारी वाहनों की लगातार आवाजाही ने हालात और बिगाड़ दिए हैं।

पर्यावरण मंडल का जवाब — औद्योगिक इकाइयों से वसूला जुर्माना
मुख्य सचिव और पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कोर्ट को बताया कि परिवहन नियमों के उल्लंघन पर औद्योगिक इकाइयों से 1.43 करोड़ रुपए से अधिक पर्यावरण मुआवजा वसूला गया है। फ्लाई ऐश की आवाजाही पर निगरानी के लिए जीपीएस आधारित ट्रैकिंग सिस्टम भी लागू किया गया है।

एनटीपीसी और बालको से शपथ पत्र तलब
हाईकोर्ट ने एनटीपीसी और बालको के चेयरमैन को व्यक्तिगत शपथ पत्र देने के निर्देश दिए हैं, जिसमें उन्हें फ्लाई ऐश प्रबंधन और सड़क रखरखाव की विस्तृत जानकारी देनी होगी। साथ ही, सभी औद्योगिक इकाइयों, PWD और पर्यावरण मंडल को दो सप्ताह में संयुक्त बैठक कर स्थायी समाधान का रोडमैप तैयार करने को कहा गया है। स्थानीय स्तर पर सुधार सुनिश्चित करने के लिए कोरबा नगर निगम को भी इस मामले में पक्षकार बनाया गया है, ताकि तय समय सीमा में सड़कों और प्रदूषण की समस्या का ठोस समाधान किया जा सके।





































