BILASPUR NEWS. मंत्रिमंडल विस्तार में बिलासपुर जिले की उपेक्षा को लेकर सियासत गरमा गई है। लगातार दूसरी बार है जब बिलासपुर जिला मंत्रीविहीन हुआ है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन के बाद अब बीजेपी सरकार में भी जिले से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। जिले में दिग्गज नेताओं की मौजूदगी के बाद भी मंत्रिमण्डल में मौका नहीं मिलने से पक्ष विपक्ष आमने- सामने हैं। इधर सियासी जानकार बिलासपुर के लिहाज से इसे बड़ा नुकसान मान रहे हैं।
दरअसल, साय मंत्रीमंडल का विस्तार हो गया है। तीन नए चेहरों को मंत्रीमंडल में शामिल किया गया है। लेकिन इन चेहरों में बिलासपुर जिले से एक भी चेहरा नहीं है। मंत्रीमंडल विस्तार से पहले, सियासी समीकरणों और दिग्गज नेताओं की मौजूदगी को देखते हुए ये उम्मीद जताई जा रही थी कि, मंत्रीमंडल में बिलासपुर जिले को तरजीह दी जाएगी। अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, धर्मजीत सिंह जैसे दिग्गज नेता इसके प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। इसमें बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल का नाम प्रमुखता से चर्चा में भी था।
हालांकि, मंत्रीमंडल के विस्तार और नए चेहरों को मौका देने के बाद दिग्गजों की ये उम्मीद खत्म हो गई। लेकिन इस निर्णय के बाद अब एक नई चर्चा शुरू हो गई है। इसमें बिलासपुर जिले की उपेक्षा की बात कही जा रही है। लगातार दूसरी बार है जब बिलासपुर जिला मंत्रीविहीन हुआ है। पूर्ववर्ती कांग्रेस शासन में भी पहले बिलासपुर को मंत्रीमंडल से दूर रखा गया, तब कांग्रेस के दो विधायक जीतकर आए थे। इसमें कांग्रेस के पूर्व विधायक शैलेश पांडेय बीजेपी के दिग्गज नेता अमर अग्रवाल को हराकर विधायक बने थे।
हालांकि, पांच साल जिले के मंत्रीविहीन रहने और सत्ता परिवर्तन के बाद ये उम्मीद थी कि, जिले को मंत्रीमंडल में नेतृत्व का मौका जरूर मिलेगा। लेकिन दूसरी बार भी बिलासपुर को निराशा हांथ लगी। अब पक्ष- विपक्ष इसे लेकर आमने- सामने हैं। कांग्रेस जहां इसे बिलासपुर की उपेक्षा और भाजपा के आंतरिक खींचतान से जोड़ रही है, वहीं भाजपा के लिए पार्टी का निर्णय अंतिम और सर्वमान्य है।
इधर जिले के मंत्रीविहीन होने पर राजनीतिक जानकार इसे बिलासपुर के लिहाज से बड़ा नुकसान मान रहे हैं। राजनीतिक जानकारों की माने तो, अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से बिलासपुर हमेशा से मंत्रीमंडल का हिस्सा रहा है। यहां के नेताओं को तरजीह मिलती रही है। जिसका सीधा लाभ भी बिलासपुर को समय- समय पर मिला है। लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और अब भाजपा की साय सरकार में बिलासपुर मंत्रीमंडल में उपेक्षित है। अमर, धरमलाल, धर्मजीत जैसे दिग्गज नेताओं की मौजूदगी के बाद उन्हें मौका नहीं दिया गया है। ऐसे में इसका सीधा नुकसान बिलासपुर को उठाना पड़ेगा। विकास के साथ जनता की अपेक्षाओं पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।
बहरहाल, मंत्रीमंडल का विस्तार जरूर हो गया है। लेकिन इसका सियासी शोर अभी तक नहीं थमा है। बिलासपुर से उठ रही आवाज इसे हवा दे रही है।