DANTEWADA NEWS. आदिवासी विकास विभाग में हुई गड़बड़ियों के मामले में अब बड़ी कार्रवाई हो गई है। विभाग के दो पूर्व सहायक आयुक्त डॉ. आनंदजी सिंह और के.एस. मसराम तथा क्लर्क संजय कोडोपी के खिलाफ आखिरकार एफआईआर दर्ज कर ली गई है। ASP बर्मन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि पुलिस मामले की जांच में जुटी है। BNS की 4 धाराओं में केस दर्ज हुआ है।
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में आदिवासी विकास विभाग से जुड़ा बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ है कि विभाग में पदस्थ रहे दो पूर्व सहायक आयुक्तों और एक क्लर्क ने मिलकर पांच सालों के भीतर 45 फर्जी टेंडर जारी किए। गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद क्लर्क को निलंबित कर दिया गया है और तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है।
कलेक्टर कुणाल दुदावत की जांच रिपोर्ट में साल 2021 से 2025 तक डीएमएफ मद से कराए गए कार्यों में निविदा प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं पाई गई थीं। आरोप है कि क्लर्क संजय कोडोपी द्वारा कूट रचित दस्तावेज बनाकर निविदाएं निपटाई गईं। फिलहाल संजय कोडोपी निलंबित हैं। कलेक्टर के निर्देश पर वर्तमान सहायक आयुक्त राजीव नाग ने सिटी कोतवाली में आवेदन दिया था।
बता दें, डॉ. आनंदजी सिंह पर पूर्व में गीदम थाने में दुष्कर्म का मामला भी दर्ज हो चुका है। फिलहाल DMF के कार्यों की निविदा में की गई गड़बड़ी को लेकर बीएनएस की धारा 318,337,340 और 3 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है । जो गड़बड़ियों अब तक सामने आई हैं, उनमें करीब दस करोड़ रुपये के कार्य है, जिन्हें फर्जी डॉक्यूमेंट के ज़रिए चहेते ठेकेदारों को दिए गए हैं ।
टेंडर समिति पर भी सवाल
इस घोटाले की आंच अब टेंडर समिति तक पहुंच गई है। सवाल उठ रहा है कि पांच सालों तक जारी रहे इस बड़े फर्जीवाड़े पर समिति ने कभी आपत्ति क्यों नहीं जताई। अब जांच एजेंसियां इस पहलू को भी खंगाल रही हैं। आगे इस पर और भी लोगों पर एक्शन लिया जा सकता है।