BHILAI NEWS. पढ़ाई में दुर्ग की हुनर एक बार फिर देशभर में दिखेगी। दरअसल, दुर्ग जिले के हनोदा मिडिल स्कूल की डॉ. प्रज्ञा सिंह का चयन राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए हुआ है। उनका चयन पढ़ाई में लूडो, सांप-सीढ़ी और शतरंज की तकनीक अपनाने पर हुआ है। प्रदेश से सामान्य वर्ग में इस बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली वह एक मात्र शिक्षिका हैं। उनके अलावा कोरबा नवोदय स्कूल के शिक्षक संतोष कुमार चौरसिया का भी चयन हुआ है। उनका वर्ग नवोदय स्कूल श्रेणी में है। नेशनल ज्यूरी की टीम हनोदा स्कूल का वीडियो बनाने के लिए आज यानी 26 दिसंबर को स्कूल आ रही है।
यह पुरस्कार लेने के लिए प्रज्ञा 3 सितंबर को दिल्ली जाएंगी। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी तीन बार अपनी प्रविष्टियां पुरस्कार के लिए भेज चुकी थी, लेकिन नेशनल ज्यूरी की टीम के सामने प्रजेंटेशन में कोई न कोई कमी रह जाती थी। इस बार प्रविष्टि भेजते समय प्रजेंटेशन की भी तैयारी की थी। इसकी वजह से चौथी बार में यह सफलता मिली। गणित जैसे कठिन विषय को बच्चों को सरलता से समझाने के लिए स्कूल में गणित लैब और गणित पार्क बनाया। फर्श और दीवारों पर पूर्णांकों को दर्ज कर उसमें कुर्सी दौड़ कराई। तीरी-पासा बनाया। घातांकों के शतरंज बनाए। अभाज्य संख्या की छलनी बनाई। लूडो से अंकों को जोड़ना सिखाया।
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सांप-सीढ़ी में गणित को जोड़ा। इसमें सवालों के सही उत्तर आते तक खिलाड़ी ऊपर चढ़ते हैं और गलत उत्तर पर नीचे उतरते हैं। अधिक कोण, न्यून कोण आदि को खेलों से जोड़ा। बच्चों की पीटी को भी गणित के अंकों से कराए। संतुलन का खेल सिखाया। इससे गणित में नतीजे शत प्रतिशत आने लगे। इसके अलावा 500 से अधिक टीचिंग लर्निंग मटेरियल बनाए। खुद के खर्चे से स्कूल का जीर्णोद्धार कराया। प्रिंट रिच वातावरण तैयार किया। जिला स्तरीय मॉडल नवभारत साक्षरता उल्लास योजना केंद्र की स्थापना की गई, जिसमें एफएलएन आधारित 100 टीचिंग मटेरियल बनाए गए। मुस्कान पुस्तकालय के लिए 30 हजार रुपए की पुस्तकें दान की।
बालिका स्वास्थ्य के लिए विशेष कार्यक्रम जागो सखियों का संचालन किया। इसकी प्रदर्शनियां लगाईं। राष्ट्रीय साधन सह प्रावीण्य छात्रवृत्ति परीक्षा (एनएमएमएसई) की तैयारी कराई। अभी तक स्कूल के 23 बच्चों का इसमें चयन हो चुका है। श्रेष्ठा योजना में भी काम किया और स्कूल के बच्चों का उसमें भी चयन हुआ। स्कूल और बच्चों के हितों में करीब 8 लाख रुपए खर्च की है। मेरे इस काम में पति शुभेंदु सिंह, दोनों बेटे और परिजनों का सहयोग है।
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