RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला मामले में फंसे आबकारी विभाग के 28 अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें अस्थायी जमानत देने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता अधिकारी पहले निचली अदालत (ट्रायल कोर्ट) में औपचारिक रूप से सरेंडर करें और जमानत बांड भरें। इसके बाद उन्हें अस्थायी जमानत का लाभ मिलेगा।
यह याचिका आबकारी विभाग के अधिकारी विकास गोस्वामी की ओर से दाखिल की गई थी। कोर्ट के फैसले का असर अन्य आरोपित अधिकारियों पर भी पड़ेगा। इसी मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा फिलहाल जेल में बंद हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने बहुचर्चित आबकारी घोटाला मामले में आरोपी 28 आबकारी अधिकारियों को अग्रिम जमानत दे दी है। इससे इन अधिकारियों को फिलहाल गिरफ्तारी से राहत मिली है, हालांकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच अभी भी जारी है।
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, यह घोटाला न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया गया, बल्कि इसके पीछे एक संगठित कारोबारी गठजोड़ भी सक्रिय था। जांच में सामने आया है कि शराब के लाइसेंस देने से लेकर कमीशन तय करने तक की प्रक्रिया में गड़बड़ियां की गईं, जिससे निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया।
एजेंसी ने यह भी बताया कि इस पूरे नेटवर्क में शामिल लोगों ने विदेशी शराब कंपनियों पर भी दबाव बनाया, ताकि वे बिक्री के बदले तय कमीशन दें। यह राशि बाद में कई मुखौटा कंपनियों और फ्रंट फर्म्स के जरिए इधर-उधर की गई।