RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में योजनाओं के नाम पर भी अलग तरह की सियासत चल रही है। कांग्रेस सरकार में शुरू हुई योजनाओं को भाजपा सरकार या तो नाम बदल रही है या फिर बंद कर रही है। भूपेश सरकार की ऐसी ही गोठान योजना को साय सरकार ने बंद कर दिया है और उसके स्थान पर अब गौधाम योजना शुरू की है। इस के ड्राफ्ट को वित्त और विभाग से भी मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही पशुधन विकास विभाग ने योजना का ड्राफ्ट जिलों में भी भेज दिया है। बता दें कि अवैध रूप से पशुओं की तस्करी एवं परिवहन पर रोक है। अंतरराज्यीय सीमाओं पर अवैध पशु तस्करी पर गृह विभाग कार्यवाही करते हुए गौवंशीय पशु जब्त करता है। इन पशुओं और घुमंतू पशुओं को रखने के लिए यह योजना शुरू की गई है।
चरवाहे को 10,916 और गौसेवक को 13,126 हर महीने मिलेंगे
इस नई योजना के अनुसार चरवाहों को मानदेय देने के साथ ही मवेशियों को चारे के लिए प्रतिदिन के हिसाब से एक तय राशि दी जाएगी। उत्कृष्ट गौधाम को वहां रहने वाले हर पशु के लिए पहले वर्ष 10 रुपए प्रतिदिन, दूसरे वर्ष-20 रुपए प्रतिदिन, तीसरे वर्ष-30 रुपए प्रतिदिन और चौथे वर्ष-35 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से राशि दी जाएगी। योजना के लिए बजट, नियम और शर्तें तय कर दी गई हैं। चरवाहे को 10,916 रुपए प्रतिमाह मानदेय तय कर दिया गया है। इसी तरह गौ सेवक को प्रतिमाह 13,126 रुपए मिलेंगे। प्रत्येक गौधाम में क्षमतानुसार (अधिकतम 200) गौवंशीय पशु रखे जा सकेंगे।
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गौधाम के लिए यहां कर सकेंगे आवेदन
ऐसी शासकीय भूमि जहां सुरक्षित बाडा, पशुओं के शेड, पर्याप्त पानी और बिजली की सुविधा उपलब्ध हो, वहीं गौधाम की स्थापना की जाएगी। ऐसे गौठान जहां पहले से अधोसंरचना विकसित है, वहां उपलब्धता के आधार पर गौठान से लगे हुए चारागाह की भूमि को हरा चारा उत्पादन के लिए दिया जाएगा। इसके अलावा आस-पास की पंजीकृत गौशाला की समिति की गौधाम संचालन के लिए असहमति व्यक्त करने पर अन्य स्वयंसेवी संस्था एनजीओ, ट्रस्ट तथा फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी, सहकारी समिति द्वारा गौधाम संचालन के लिए आवेदन किया जा सकेगा।
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ऐसी होगी पूरी प्रक्रिया
जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम स्थापित किए जाएंगे, जो पंजीकृत गौशालाओं से भिन्न होंगे। पहले चरण में छत्तीसगढ़ की प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग के आस- पास ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित किए जाएंगे। जिला स्तरीय समिति प्राप्त आवेदनों का तुलनात्मक अध्ययन कर चयनित संस्था का नाम छ.ग. राज्य गौसेवा आयोग को भेजेगी। आयोग की मंजूरी के बाद चयनित संस्था एवं आयोग के बीच एमओयू होगा। इसके बाद उक्त संस्था को गौधाम का संचालन सौंपा जाएगा।
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इस योजना के ये हैं उद्देश्य
गौवंशीय पशुओं का वैज्ञानिक पद्धति से संरक्षण एवं संवर्धन ।
गौ उत्पादों को बढ़ावा देना।
चारा विकास कार्यक्रम विकसित करना।
प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करना।
रोजगार उपलब्ध कराना।
फसलों के नुकसान के साथ ही दुर्घटनाओं में पशु और जन हानि से बचाव।




































