DURG NEWS. दुर्ग जिले के आरोग्यम सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक बार फिर मरीज के साथ खिलवाड़ का मामला सामने आया है। जहां परिजनों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों की लापरवाही ने मरीज की हालत बिगाड़ दी। आज पहले तो उन्हें मृत होना बताकर ले जाने का कहा, लेकिन परिजनों के हंगामा करने के बाद डॉक्टर ने मरीज को जीवित होने की जानकारी देते हुए क्रिटिकल कंडीशन में होना बताया। इस पूरे मामले में परिजनों ने कई गंभीर आरोप आरोग्यं हॉस्पिटल पर लगाए हैं, तो वहीं आरोग्यं हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर नवीन दारुका ने सभी आरोपों का खंडन किया है।

दरअसल, भानुप्रतापुर के रहने वाले मरीज का इलाज दुर्ग स्थित आरोग्यं सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में विगत कई वर्षों से चल रहा है। जहां उनके हालत में गिरावट आते ही भर्ती कराया जाता रहा है। ऐसे ही परिजनों ने कुछ दिन पूर्व मरीज को भर्ती कराया था। वहीं देर रात एक डॉक्टर की लापरवाही के चलते मरीज की कंडीशन ज्यादा खराब हो गई। जिसके बाद देर रात ही मरीज के मृत होने की जानकारी परिजनों को देते हुए ले जाने कहा।
वहीं जब परिजनों ने आज हंगामा किया तब कहीं जाकर डॉक्टर ने मरीज की हालत स्थिर बताया। तो वहीं मरीज के वेंटिलेटर में रहकर भी खतरे में होने की बात कही। परिजनों की अस्पताल प्रबंधन से काफी देर तक बहस चलती रही। परिजनों का कहना था कि आखिर डॉक्टर की गलती से मरीज की हालत ज्यादा खराब हो गई, जिसे मृत बताकर वापस ले जाने कहा जा रहा है, ऐसे में परिजनों का हंगागा इसलिए बढ़ गया क्योंकि उनके ऐसी स्थिति के बाद भी उनसे इलाज की सामग्री मंगाई जा रही थी और हजारों रुपए मांगे जा रहे थे। तो वही बाद में एक स्टॉप ने मरीज को एम्स ले जाने कह दिया।
परिजनों ने उनसे कहा कि इतने वर्षों से लगातार इलाज यही हो रहा है लेकिन अब मरीज की स्थिति बिगाड़ने के बाद दूसरे अस्पताल ले जाने कहा जा रहा है। जबकि पूर्व में हुए इस अस्पताल में मरीजों के प्रति हुए लापरवाही पर इन्हीं परिजनों से अपने फेवर में मीडिया के सामने बुलवाया गया। जिसे भी परिजनों ने बताया। हालाकि काफी देर हुए हंगामे के बाद मृत होने की जानकारी को प्रबंधन ने नकारते हुए क्रिटिकल कंडीशन होना बताया। अब परिजन ऐसी कृत्य के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।
वही अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज की स्थिति शुरू से खराब थी, उन्हें उचित इलाज दिया जा रहा था, लेकिन किसने उनके मृत होने की जानकारी परिजनों को दिया इसकी जांच करवाएंगे। अब देखना होगा क्या हंगामे के बाद महज माहौल ठीक करने मरीज के जीवित होने की बात कही गई या मरीज वाकई क्रिटिकल कंडीशन में जीवित था ये आने वाले वक्त में पता चल पाएगा।