NAGPUR NEWS. प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी ने आज यानी 30 मार्च को नागपुर स्थित संघ कार्यालय पहुंचे। मोदी ने स्मृति मंदिर में संघ संस्थापकों को श्रद्धांजलि दीं। इस दौरान PM ने नागपुर में ही माधव नेत्रालय प्रीमियम सेंटर की नई एक्सटेंशन बिल्डिंग की आधारशिला रखी। यहां उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए सबसे पहले देश वासियों को नवरात्रि और गुड़ी पड़वा की बधाई दी। इसके बाद उन्होंने RSS के संस्थापकों डॉ. हेडगेवार और गोलवलकर व संविधान के निर्माता डॉ. आंबेडकर को याद किया।
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत ने इतिहास में बहुत कुछ झेला लेकिन नए-नए सामाजिक आंदोलनों के कारण देश की चेतना कभी आहत नहीं हो पाई। वहीं, दीक्षाभूमि जाकर डॉ. भीमराव आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि दी। दीक्षाभूमि वही स्थान है, जहां 1956 में बाबा साहेब आंबेडकर ने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था।
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इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने देश का इतिहास देखें तो सैकड़ो वर्ष की गुलामी, इतने आक्रमण झेले, भारत की सूरत को मिटाने की इतनी क्रूर कोशिशे हुईं लेकिन भारत की चेतना कभी आहात नहीं हुई। इसकी लौ जलती रही क्यूंकि कठिन से कठिन दौर में भी नए-नए सामाजिक आंदोलन होते रहें। उन्होंने यहां RSS के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि संघ की सालों की तपस्या आज भारत का नया अध्याय लिख रही है।
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इस दौरान पीएम मोदी ने हेल्थ सेक्टर में केंद्र की भाजपा सरकार के कामकाज का लेखा-जोखा भी पेश किया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार गरीबों को जनऔषधि केंद्र के जरिए सस्ती दवाएं दे रही है। डायलिसिस सेंटर खुले हैं, जो मुफ्त डायलिसिस की सुविधा दे रहे हैं. हम स्वास्थ्य की दिशा में भी देश को प्रगति के नए शिखर पर लेकर जाएंगे।
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म्यांमार में आए भूकंप का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम मदद के लिए म्यांमार में हैं. हम युद्धग्रस्त देशों से लोगों को निकाल रहे हैं। हम वैश्विक दक्षिण की आवाज बन रहे हैं. 2025 से 2047 तक बड़े लक्ष्य हमारे सामने हैं।
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बता दें कि पीएम मोदी 11 साल में पहली बार RSS हेडक्वार्टर आए हैं। इससे पहले वह 2012, 2013 और 2014 में लगातर यहां आए। बतौर प्रधानमंत्री RSS हेडक्वार्टर का दौरा करने वाले मोदी दूसरे शख्स हैं। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2000 में RSS हेडक्वार्टर का दौरा किया था। पीएम मोदी ने स्मृति मंदिर और दीक्षाभूमि की विजिटर बूक में अलग-अलग संदेश के साथ हस्ताक्षर भी किए।
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स्मृति मंदिर में उन्होंने लिखा कि परम पूजनीय डॉ. हेडगेवार और पूज्य गुरूजी को शत्-शत् नमन। उनकी स्मृतियों को संजोने, इस स्मृति मंदिर में आकर अभिभूत हूं। भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और संगठन के मूल्यों को समर्पित यह स्थली हमें राष्ट्र सेवा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। इसी तरह दीक्षाभूमि की विजिटर बुक में उन्होंने डॉ. आंबेडकर के योगदान को याद करते हुए हस्ताक्षर किए।