KONDAGAON NEWS. कोण्डागांव जिले के हंगवा गांव में एक छट्टी कार्यक्रम के दौरान कल फूड प्वाइजनिंग का मामला सामने आया था, जिसमें अब एक छात्रावासी बच्ची की मौत हो गई है। दरअसल पनीर और चिकन की सब्जी खाने से 20 लोग फूड प्वाइजनिंग के शिकार हो गए थे। इनमें से एक बच्ची की जिला अस्पताल से रेफर किए जाने के बाद मौत हो गई, जबकि 14 लोगों को जिला अस्पताल में भर्ती कर उपचार किया जा रहा है और 5 पीड़ितों का हंगवा गांव में ही शिविर लगाकर इलाज किया गया।
इस घटना के बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि विभाग लगातार खाद्य पदार्थों की निगरानी और कार्रवाई के दावे करता रहता है। लेकिन एक बच्ची की मौत और 19 लोगों के बीमार होने के बाद निगरानी एवं कार्रवाई का पूरा मामला कटघरे में आ गया है।
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जानकारी के अनुसार, हंगवा गांव निवासी तुला कोर्राम के घर सोमवार को छट्टी कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस अवसर पर विशेष भोज का आयोजन किया गया, जिसमें कोण्डागांव से 20 किलो पनीर और 6 किलो चिकन पकाकर परोसा गया था।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, चिकन खाने के बाद कई लोगों की तबीयत मंगलवार रात से बिगड़ने लगी, जिसके बाद 14 पीड़ितों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। इधर, जिला अस्पताल में उपचार कर हायर सेंटर शिफ्टिंग के दौरान जयंती कोर्राम (09) पिता स्व. वारामासी निवासी राकसमेटा की मौत हो गई।
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स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जयंती कोर्राम के चाचा तुला कोर्राम ने कन्या आश्रम शाला हंगवा से उसे व उसकी बहन पूजा कोर्राम और भूमिका कोर्राम को छुट्टी दिलाकर छट्टी कार्यक्रम के लिए घर ले गए थे। अगले दिन आश्रम में छोड़ने के बाद उसकी तबीयत खराब हुई थी, जहां से उसे जिला अस्पताल भेजा गया था।
घटना की जानकारी लगते ही स्वास्थ्य विभाग ने गांव में शिविर आयोजित किया, जहां 5 बीमारों का इलाज किया गया। इधर, कोण्डागांव जिला अस्पताल में फूड प्वाइजनिंग से पीड़ित अंतू कोर्राम (38), राजबती (11), सारिका कोर्राम (8), हर्षिला कोर्राम (2), सुमति कोर्राम (34), पूजा कोर्राम (11), असमन कोर्राम (43), सुनाई कोर्राम (40), आशिका कोर्राम (5), तुलेश्वरी मांडवी (16), दीपिका कोर्राम (12), पांचू कोर्राम (16), अनिल कोर्राम (25), सविता मांडवी (16) का उपचार जारी है। जिला अस्पताल में अंतू कोर्राम की हालत ज्यादा खराब बताई जा रही है।
इस घटना के बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। विभाग खाद्य पदार्थों की नियमित जांच और निगरानी के दावे करता है, लेकिन एक बच्ची की मौत और 19 लोगों के बीमार होने के बाद प्रशासन की लापरवाही उजागर हो गई है।