SHAMLI NEWS. वर्ष 2010 में शामली जिले के बिड़ौली चेक पोस्ट पर एसओजी के सिपाही सचिन मलिक और इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार मौजूद थे। तभी उनकी नजर मुस्तफा उर्फ कग्गा की गाड़ी पर पड़ी। उन्होंने उसे रोकने का इशारा किया लेकिन कग्गा ने कार रोकते ही पुलिस पर गोलियां बरसा दीं। कई गोली लगने की वजह से सिपाही सचिन मलिक की मौत हो गई।
इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने के बाद मुस्तफा कग्गा मौके से फरार हो गया था। पुलिस उसके पीछे लगी हुई थी। उसे छिपने की जगह नहीं मिल रही थी। वह हर दिन अपना ठिकाना बदल रहा था। करीब एक साल बाद 2011 में यूपी पुलिस ने मुस्तफा उर्फ कग्गा को सहारनपुर में एनकाउंटर में मार गिराया था।
बताया जाता है कि मुस्तफा अपने खास सहयोगी कुख्यात मुकीम काला आदि के साथ किसी भी वारदात को अंजाम देने के बाद छिपने के लिए यमुना खादर क्षेत्र का रुख करता था। इस इलाके में उसने अपने कई ठिकाने बना रखे थे। मुस्तफा कभी शामली जिले के कैराना इलाके में तो कभी झिंझाना क्षेत्र के यमुना खादर में जाकर छिप जाता था। अगर पुलिस का दबाव ज्यादा पड़ता तो वह सहारनपुर के गंगोह और दूसरे इलाकों में जाकर छिप जाता था। मुस्तफा की कोशिश होती थी कि वह ऐसे इलाके में जाकर छिपे जहां पर लोगों की आबादी ज्यादा हो और स्थानीय लोग पुलिस के आने पर उसे छिपाने में मदद भी करें।
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बताया जाता है कि मुकीम काला ने जब मुखबिरी के शक में लड्डा नाम के एक युवक का ऐलानिया कत्ल किया, तो वह मुस्तफा के बेहद करीब आ गया। लड्डा की हत्या के बाद मुकीम काला मुस्तफा का खास शूटर बन गया। 2011 में मुस्तफा के मारे जाने के बाद मुकीम ने गैंग की कमान अपने हाथों में ले ली।
मुकीम के साथ उन दिनों मुस्तफा के लिए साबिर चंदेरी नाम का एक शार्प शूटर भी काम करता था। जब मुकीम ने 2011 में गैंग की कमान अपने हाथों में ली तब साबिर मुकीम के लिए काम करने लगा।
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मुस्तफा के एनकाउंटर के बाद मुकीम काला और साबिर ने एक के बाद एक कई वारदातों को अंजाम दिया। व्यापारियों के ऊपर कई बार फायरिंग कर दहशत फैलाई। शिवकुमार और राजेंद्र नाम के व्यापारियों की सरेआम हत्या के बाद लोग उनसे डरने लगे थे।
पुलिस ने 2015 में मुकीम और साबिर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन पेशी पर ले जाते समय 2017 में साबिर पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था। फिर 2018 में पुलिस के साथ साबिर की मुठभेड़ हुई और वह मारा गया। साबिर के मरने के बाद गैंग की ताकत लगभग खत्म हो गई। इसके कुछ दिनों बाद ही 2021 में जेल के अंदर हुए शूटआउट में मुकीम काला भी मारा गया।
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एक वक्त था जब मुकीम काला के गैंग में करीब 20 शूटर काम किया करते थे, लेकिन पहले साबिर और फिर उसके बाद गैंग के कई शूटर पुलिस एनकाउंटर में मारे गए। जिसके चलते गैंग की हालत पतली होती गई। अभी इस गैंग में अरशद काफी एक्टिव था, जो मेरठ एसटीएफ के साथ शामली के झिंझाना में 20 जनवरी को हुए एनकाउंटर में मारा गया।
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बताते चलें कि शामली के झिनझिना थाना इलाके में सोमवार रात STF ने मुस्तफा कग्गा गैंग के अरशद समेत 4 बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया। अरशद, मंजीत, सतीश और एक अज्ञात के साथ हुई इस मुठभेड़ में इंस्पेक्टर सुनील को भी गोली लगी है। उन्हें गुरुग्राम के अस्पताल में रेफर किया गया है। चारों बदमाश में से अरशद थाना बेहट, सहारनपुर से लूट के एक मामले में वांटेड था। उस पर एडीजी जोन द्वारा एक लाख का इनाम भी रखा गया था।
इसके अलावा भी अरशद पर लूट, डकैती और हत्या के एक दर्जन भर मामले दर्ज थे। अरशद लंबे समय से पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था। सहारनपुर और आस-पास के जिलों में उसकी सक्रियता ने पुलिस को चुनौती दी थी। उसके खिलाफ सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर और हरियाणा के पनीपत में विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज थे, जिनमें 302 (हत्या), 395 (डकैती), 397 (आर्म्ड डकैती), और गैंगस्टर एक्ट जैसे गंभीर अपराध शामिल थे।