CREDIT CARD PAYMENT NEWS. क्रेडिट कार्ड का यूज दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इसका इस्तेमाल ऑनलाइन बिल पेमेंट, शॉपिंग में किया जा रहा यही। अगर आप भी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते है, तो यह खबर आपके लिए है। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट पर लगने वाली फीस को लेकर बड़ा फैसला लिया है। ऐसा हुआ तो उपभोक्ता को 30 फीसदी से भी ज्यादा का ब्याज भरना पड़ सकता है। दरअसल, अब क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते समय छोटी सी लापरवाही भी आपका बड़ा नुकसान करा सकती है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने क्रेडिट कार्ड के पेनल्टी शुल्क को लेकर बड़ा फैसला लिया है और इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण (एनसीडीआरसी) के 2008 के उस आदेश को पलट दिया है जिसमें क्रेडिट कार्ड बिल के भुगतान में देरी पर केवल 30 प्रतिशत ब्याज लेने का फैसला किया गया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस सीमा को खत्म कर दिया है और बैंकों को क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टरों से ज्यादा ब्याज वसूलने की छूट दे दी है, यानी अब कार्ड जारी करने वाला बैंक इस गलती पर 30 नहीं बल्कि 50 फीसदी तक ब्याज वसूल सकता है।
मतलब साफ है कि अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर बिल भुगतान करते हैं या कोई खरीदारी करते हैं तो उसके बिल भुगतान की तारीख याद रखें, अगर बिल भुगतान की तारीख छूट गई तो आपकी जेब ज्यादा कटना तय है, क्योंकि अब बैंक अपनी मर्जी से इस गलती के लिए जुर्माना लगा सकता है।
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20 दिसंबर के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि क्रेडिट कार्ड धारकों को उचित शिक्षा दी जानी चाहिए और उन्हें उनके विशेषाधिकारों और दायित्वों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, जिसमें समय पर भुगतान करना और देरी पर जुर्माना लगाना शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश बिल भुगतान में लापरवाही बरतने वाले यूजर्स के लिए परेशानी का सबब बनने वाला है। इस परेशानी से बचना चाहते हैं तो कार्ड बिल का भुगतान समय पर करें, इसके साथ ही इस बात पर भी नजर रखें कि आपके बैंक ने इस आदेश के बाद कितना ब्याज लगाया है। ऐसा करने से आपका सिबिल स्कोर प्रभावित नहीं होगा।
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SC से बैंकों ने लगाई थी गुहार
गौरतलब है कि एनसीडीआरसी द्वारा 30 प्रतिशत की सीमा लगाए जाने के बाद से ही सभी क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक इसे हटाने की मांग कर रहे थे और इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बैंकों ने तर्क दिया था कि 30 प्रतिशत की सीमा तय होने के कारण वे क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टरों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम नहीं हैं। अब कोर्ट से उनके पक्ष में फैसला आ गया है, वहीं यह क्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए भी बड़ी चेतावनी है।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि एनसीडीआरसी का यह कहना कि 30 प्रतिशत से अधिक की ब्याज दर अनुचित व्यापार व्यवहार है, सही नहीं है। अदालत ने कहा कि यह निर्णय बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की विधायी मंशा के विपरीत है और एनसीडीआरसी को बैंकों और क्रेडिट कार्ड धारकों के बीच समझौते की शर्तों को फिर से लिखने का कोई अधिकार नहीं है, जिस पर दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से सहमति व्यक्त की थी।