NEW DELHI NEWS. छत्तीसगढ़ समेत देशभर में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी क्रम में केंद्र सरकार की ओर अब निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम में संशोधन किया है। अब कक्षा पांचवीं व आठवीं में विद्यार्थी फेल हो सकेंगे। एक बार फेल होने के बाद उन्हें दो माह बाद परीक्षा का फिर मौका दिया जाएगा। यदि पास होने जितने नंबर नहीं ले पाया तो उसे अगली कक्षा में नहीं किया जाएगा। अब तक परीक्षा तो दोबारा का प्रावधान था लेकिन फेल नहीं किया जाता था।
बताया गया कि अब फेल होने की स्थिति में शिक्षक द्वारा बच्चों के साथ परिजनों से भी संपर्क किया जाएगा। वह उनका मार्ग दर्शन करेगा कि किस प्रकार बच्चे को घर पर भी पढ़ाया जाए। स्कूल की तरफ ऐसे उन बच्चों की सूची भी बनाएगा, जो फेल हुए हैं। ऐसे बच्चों की विशेषज्ञ के अनुसार तैयारी कराई जाएगी। साथ ही पूरी मॉनिटरिंग भी होगी। बालकों के समग्र विकास के लिए परीक्षा और पुन: परीक्षा होगी। इसे छात्र को पास करना जरूरी होगा।
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इसके अलावा यह भी निर्देश जारी किए गए हैं कि किसी भी बच्चे को तब तक स्कूल से नहीं निकाला जाएगा तब तक वह प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं कर लेता है। यदि बच्चा बार-बार फेल भी हो रहा है तो भी उसे स्कूल से नहीं निकाला जाएगा। इसे लेक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से अधिसूचना जारी की गई है। उल्लेखनीय है कि 2009 में निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम बनाया गया। जिसमें आठवीं तक बच्चों को फेल न करने का प्रावधान किया गया था।