LALITPUR NEWS. श्री व्यंकटेश सुप्रभातं का पाठ सभी कष्टों, व्याधियों और समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। श्री व्यंकटेश सुप्रभातं वैसे तो संस्कृत भाषा में है और काव्य रूप में है। तिरुमाला मंदिर के गर्भगृह में श्री वेंकटेश्वर भगवान के लिए सुबह की पहली प्रार्थना के रूप में इसे गाया जाता है। इस काव्य को 13वीं शताब्दी में प्रथिवाधि भयंकरम अन्नंगराचार्य जी ने लिखा था। इसके चार भाग हैं। सुप्रभातम, स्तोत्रम्, प्रपत्ति और मंगलासनम्। सुप्रभातम में 29 श्लोक हैं। जबकि स्तोत्रम् में 11, प्रपत्ति में 14 और मंगलासनम् में 16 श्लोक शामिल हैं।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के पूर्व सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अतुल मालवीय ने इसका हिंदी अनुवाद किया है। अतुल मालवीय के अनुसार वैसे तो प्रातःकाल में भगवान् के जागरण के लिए ये मूलतया है लेकिन मेरा मानना है कि दिन के किसी भी समय आप इसे पढ़ सकते हैं। जो लोग समस्याग्रस्त हों वे तत्काल इसका नियमित पाठ आरंभ कर दें, तिरुपति बालाजी चमत्कार करेंगे। पढ़ें हिंदी अनुवाद…
कौशल्या के सुपुत्र भगवान् राम!, पूर्व में भोर का उजाला फैलने को है। हे पुरुषोत्तम, जागो जिससे नित्य किये जाने वाली संध्यावंदन इत्यादि पूजा विधियां प्रारंभ की जाएँ – 1
हे गोविन्द! जागो, हे गरुडध्वज, जागो। हे कमलाकांत उठो और तीनों लोकों का मंगल करो – 2
ये प्रभात सभी के लिए शुभ हो। हे भगवती लक्ष्मी, जगन्माता, मधु कैटभ जैसे राक्षसों का नाश करने वाले विष्णु के ह्रदय में निवास करने वाली देवी, अपने दिव्य स्वरुप के दर्शन देकर अपनी शरण में आने वालों की रक्षा करो – 3
हे भगवती लक्ष्मी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो। भगवान् वृश्कल की प्रिया, कमल के समान नेत्रों वाली, चंद्र के समान मुख वाली देवी, जो गिरिजा, वाणि और पोलुमजा द्वारा भी पूज्य हैं, अत्यंत दयालु स्वभाव की हैं – 4
ऊषाकाल की आराधना, संध्यावंदन करने के बाद, अत्रि इत्यादि सातों ऋषि पवित्र गंगा से लाये कमल पुष्पों से आपकी पूजा करने के लिए उपस्थित हैं। हे शेषाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 5
पांच मुखों वाले ब्रह्मा, सुब्रह्मण्यम, भगवान् शिव और इंद्र आदि देवता आपके त्रिविक्रम रूप की वंदना कर रहे हैं। पास ही वृहस्पति देव खड़े आज के दिवस की नक्षत्रदशा बता रहे हैं| हे शेषाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 6
अधखुले कमलों की, नारियल, सुपारी इत्यादि सुंदर वृक्षों की सुगंध साथ लिए शीतल वायु मंद मंद प्रवाहित हो रही है। हे शेषाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 7
मधुर फलों और कटोरी में रखी खीर को खाने के बाद सुंदर तोते भी मधुर आवाजों में गा रहे हैं। हे शेषाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 8
नारद मुनि अपनी वीणा से मधुर संगीत बजाते हुए, दूसरे हाथ को उठाकर हिलाते हुए आपके द्वारा किये असंख्य सुकर्मों का गुणगान गा रहे हैं। हे शेषाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 9
निकट के ही तालाबों में खिले कमलों के अंदर से गुंजन करते भ्रमर मधुपान करके बाहर निकल रहे हैं जिससे मधु को संग्रहीत कर आपको अर्पित किया जा सके। हे शेषाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 10
गौशालाओं में से महिलाओं द्वारा दही मथने की ध्वनि पत्थर के पात्रों से टकराकर आठों दिशाओं को गुंजा रही है। हे शेषाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 11
सूर्यमित्र कमल पुष्पों में भ्रमरों के झुंड ऐसी ध्वनियाँ निकाल रहे हैं जिससे नीले कमलों की चमक और शोभा भी फीकी लग रही है। हे शेषाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 12
हे लक्ष्मी के स्वामी, वरदान देने वाले प्रभु, सारे जगत के मित्र, हे लक्ष्मीनिवास, करुणा के अतुल सागर, जिनका ह्रदय लक्ष्मी के आकर्षण का केंद्र है ऐसे हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 13
भगवान् ब्रह्मा, भगवान् शिव, भगवान् सनंदन और अन्य देवतागण पवित्र जल में स्नान करने के उपरांत अपने उद्धार की कामना लिए आपके द्वार पर खड़े आपके दर्शनों के अभिलाषी हैं। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 14
हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, आपका निवास सदा से श्री शेषशैल, नारायणाद्रि, गरुणाद्रि, वेंकटाद्रि, वृषभाद्रि, वृषाद्रि इत्यादि नामों से पुकारा जाता है। ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 15
भगवान् शिव, इंद्र, अग्नि, यम, नैरुति, वरुण, वायु और कुबेर अपने दोनों हाथों को सर के ऊपर जोड़े हुए आपकी सेवा की इच्छा लिए उपस्थित हैं। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 16
आपका वाहन – पक्षिराज गरुड़, जानवरों का राजा सिंह, सर्पराज आदिशेष, हाथियों के राजा ऐरावत, अश्वों के राजा उच्चैश्रवा इत्यादि आपसे विनम्र भाव से आपकी सेवा करने, उन्हें उनके कर्तव्य करने की आज्ञा और आपकी यात्रा को सुखमय बनाने हेतु आपसे निवेदन कर रहे हैं। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए हो – 17
सभी मुख्य देवगण, नवग्रह – सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु आपके सेवक बनकर, आपके आज्ञाकारी होकर आपकी सेवा के लिए तत्पर खड़े हैं। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 18
हे वेंकटेश्वर, आपके भक्तगण, अपने मस्तक पर आपकी चरणरज धारण किये हुए आपकी सेवा में खड़े हैं। उन्हें मोक्ष या स्वर्ग की कामना नहीं है बल्कि इस बात की चिंता है कि कहीं यह कल्प समाप्त होकर युगों का अगला कल्प प्रारंभ न हो जाए जब वेंकटाचल की महिमा नहीं हो। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 19
आपके मंदिर का चमकता शिखर देखकर मोक्ष और स्वर्ग की कामना का प्रयास कर रही सदात्मायें तक इसी मृत्युलोक धरती पर पुनः जन्म लेने की कामना करने लग जाती हैं। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 20
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आप श्रीपति और भूदेवी के स्वामी हैं। आप दया और करुणा के महासागर होने के साथ ही इच्छित फल देने वाले प्रभुओं के भी महाप्रभु हैं। ब्रह्मांड के एकमात्र शरणदाता आप ही हैं, लक्ष्मी के स्वामी, आपके चरणों की पूजा अनंत और गरुड़ द्वारा की जाती है। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 21
हे पद्मनाभ! पुरुषोत्तम! वासुदेव! वैकुंठमाधव! जनार्दन! चक्रपाणि! श्रीवत्स वाहक! शरण देने वाले अक्षयवट! हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 22
अप्सराओं के भी सौंदर्य और गर्व से अधिक आकर्षण वाले! कमलपुष्प की कली पर अपनी प्रियतमा के वक्षों की तरह मंगल दृष्टि डालने वाले, पवित्र गुणों के निवास, दिव्य यश के धारक, हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 23
मत्स्य, कामद, कोल, नरसिंह, त्रिविक्रम, परशुराम, राम, बलराम, कृष्ण और कल्कि रूप में दस अवतार धारण करने वाले हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 24
वेदों में पारंगत ब्राह्मणगण प्रसन्नतापूर्वक आपकी आराधना करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। वे ऐसे पवित्र गंगाजल से भरे स्वर्णकमंडलों को अपने सिरों पर रखे हुए हैं, जिसमें इलायची, लौंग और कपूर का मिश्रण कर उसे सुगंधित किया गया है। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 25
सूर्योदय हो रहा है, कमल खिल चुके हैं, चिड़ियाँ चहचहाने लगी हैं, मंगलकामना करते हुए सभी वैष्णवजन आपके निवास पर आपके दर्शनार्थ प्रतीक्षारत हैं। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 26
भगवान् ब्रह्मा, महान ऋषिगण, सनंदन जैसे योगी, अपने हाथों में आपको अर्पण करने के लिए दिव्य उपहार भेंट करने के लिए प्रतीक्षारत हैं। हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 27
हे श्रीनिवास, त्रुटिरहित और सौभाग्य एवं सुफल प्रदान करने वाले महासागर, भवसागर से पार कराने वाले सेतु, जिनकी महिमा को उपनिषदों के माध्यम से समझा जा सकता है, जो भक्तों को आनंद प्रदान करते हैं, हे वेंकटाचल पर्वत के स्वामी, ये प्रभात आपके लिए शुभ हो – 28
इस तरह ये वृषाचल के स्वामी का “सुप्रभातं” है। जो भी मनुष्य इसका नित्य श्रद्धापूर्वक पाठ करेंगे, प्रातः स्मरण करेंगे, उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति होगी जिससे अंतिम लक्ष्य अर्थात मोक्षप्राप्ति की राह आसान होगी।