BILASPUR NEWS. प्रदेश में आरक्षक भर्ती की प्रक्रिया पर लगे रोक को हाईकोर्ट ने हटा दिया है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है कि सभी पुलिसकर्मियों के बच्चों को छूट देना गलत है। छूट के हकदार सिर्फ शहीद व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के सुरक्षाकर्मियों के बच्चे है। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया जारी रखने के निर्देश भी दिए है। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय के बेंच में हुई।
बता दें, प्रदेश में आरक्षक संवर्ग 2023-24 के लिए 5967 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। इसमें पुलिसकर्मियों के बच्चों को फिजिकल टेस्ट में छूट मिली थी। इस छूट देने के मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस पर पहले हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि पुलिसकर्मियों के बच्चों को लाभ देने नियमों में बदलाव कैसे हो सकता है। जबकि विज्ञापन जारी होने के बाद डीजी पुलिस ने सचिव को पत्र लिखा था पत्र में नियुक्ति प्रक्रिया में पुलिस विभाग में कार्यरत और एक्स सर्विसमेन कर्मचारियों के बच्चों को छूट देने का जिक्र था।
पत्र में सुझाव दिया गया कि भर्ती नियम 2007 कंडिका 9(5) के तहत भर्ती प्रक्रिया में मापदंडों को शिथिल किया जा सकता है। इसमें फिजिकल टेस्ट के दौरान सीने की चौड़ाई और ऊंचाई जैसे कुल 9 पाइंट शामिल थे। इसे अवर सचिव ने स्वीकार भी कर लिया। याचिका में इस सुझाव को आम लोगों के साथ भेदभाव बताया।
इस पर कोर्ट ने भी अपने फैसले में इसे आमजनों के साथ भेदभाव माना है। फिर इस मामले में रोक लगा दी। इसके बाद सुनवाई में कोर्ट ने नियम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि नियम के तहत डीजीपी को अधिकार दिया गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वो मनमाना छूट देंगे। कोर्ट ने कहा कि नियम ऐसे बनाए कि छूट का लाभ सभी को हो। ऐसा नहीं है कि एसपी और टीआई के बच्चों को भर्ती में छूट दी जाए। अपने हिसाब से रूल बनाना पद का दुरूपयोग होता है।