BILASPUR NEWS. सरकारी जमीन पर कब्जा कर घर बनाने के आरोप में कोटा के तत्कालीन एसडीएम आशुतोष अवस्थी ने जोतराम को नोटिस जारी किया था। पेशी के दिन जोतराम की तबियत खराब थी ऐसे में उसका बेटा साधराम एसडीएम के पास पहुंचा और पिता के बीमार होने की जानकारी दी। इस पर नाराज एसडीएम ने बेटे को जेल भेज दिया। इस पर कोर्ट ने एसडीएम को 25 हजार क्षतिपूर्ति देने कोर्ट ने आदेश जारी किया।
बता दें, पिता की जगह बेटे को जेल भेजने वाले एसडीएम को ट्रायल कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए 25 हजार रुपये जुर्माना ठोंकते हुए पीड़ित को राशि क्षतिपूर्ति देने का आदेश्ज्ञ दिया था। ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एसडीएम ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन एसडीएम की याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है।
ये है पूरा मामला
तखतपुर के जोरापारा निवासी जोतराम ने शासकीय भूखंड पर कब्जा कर मकान बनाया था। इसकी शिकायत कोटा एसडीएम कार्यालय में की गई थी। मामले की जांच में शिकायत को सही पाते हुए कोटा एसडीएम ने जोतराम को नोटिस जारी कर सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही एसडीएम ने जोतराम पर 500 रुपये जुर्माना भी लगाया था। नोटिस भी जारी कर एसडीएम कोर्ट में तलब किया था।
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पेशी के दिन जोतराम की तबीयत खराब हो गई थी। उसने अपने बेटे साधराम को एसडीएम कोर्ट भेजा और तबीयत खराब होने की जानकारी देने के साथ पेशी की तारीख नोट कर लाने को कहा। साधराम ने एसडीएम को पिता के तबीयत खराब होने की जानकारी दी। यह सुनते ही एसडीएम नाराज हो गए और साधराम को ही 15 दिन के लिए जेल भेज दिया। जेल से छूटने के बाद साधराम ने एसडीएम की कार्रवाई को चुनौती देते हुए ट्रायल कोर्ट में मामला पेश किया। मामले की सुनवाई में कोर्ट ने एसडीएम की कार्रवाई पर नाराजगी जताई और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना की राशि पीड़ित साधराम को क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया था।