संजीव कुमार सोनी
LALITPUR NEWS. चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेज ललितपुर में पहली बार सफलतापूर्वक एसीएल पुनर्निर्माण ऑपरेशन किया गया। एसीएल सर्जरी एक प्रकार का सर्जिकल प्रोसीजर है। जिसमें घुटने के जोड़ में मौजूद एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) को फिर से बनाया जाता है। इस महत्वपूर्ण सर्जरी का नेतृत्व डा.सौरभ साहू और उनकी टीम द्वारा किया गया। जिनमें डा.मनोज वर्मा और एनस्थेसिया विशेषज्ञ डा.चेतन राज भी शामिल थे। यह सर्जरी ललितपुर के मेडिकल कॉलेज व जनपद के लिए गर्व का विषय है। यह सर्जरी उन मरीजों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जिनके घुटनों में गंभीर चोट लगती है। एसीएल की सर्जरी घुटने के लिगामेंट को पुनस्थापित करने के लिए की जाती है।
मेडिकल कॉलेज में इस उपलब्धि का श्रेय कॉलेज के प्राचार्य को भी जाता है। जिनके कुशल प्रबंधन और दिशा-निर्देशन में अस्पताल में उन्नत चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ावा मिल रहा है। इस प्रकार की अत्याधुनिक सर्जरी को ललितपुर में सफलतापूर्वक करने का अवसर मिला। इस सर्जरी के सफलतापूर्वक संपन्न होने से मेडिकल कॉलेज की प्रतिष्ठा और बढ़ी है। मेडिकल कॉलेज ललितपुर में होने वाली इस प्रकार की सफल सर्जरियों से जिले के निवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी और मरीजों को अब बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
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इस सफलता के साथ ही मेडिकल कॉलेज ललितपुर में जल्द ही जोड़ प्रत्यारोपण एवं स्पोर्ट्स इंजरी यूनिट का गठन किया जाएगा। इस यूनिट में समर्पित सर्जन और फिजियोथेरापिस्ट की एक टीम गठित की जाएगी। जो खेल और अन्य चोटों से प्रभावित मरीजों के इलाज और पुनर्वास को नियमित रूप से क्रियान्वित करेंगे। यह यूनिट मरीजों को उन्नत चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरी तरह से समर्पित होगी और जिले के निवासियों को विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराएगी।
क्या है एसीएल ऑपरेशन
एसीएल पुनर्निमाण ऑपरेशन एक प्रकार का सर्जिकल प्रोसीजर है। जिसमें घुटने के जोड़ में मौजूद एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट (एसीएल) को फिर से बनाया जाता है। यह ऑपरेशन तब किया जाता है जब एसीएल यानि एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट में चोट लगी हो या यह फट गया हो।
एसीएल पुनर्निमाण ऑपरेशन के दौरान, सर्जन एसीएल को फिर से बनाने के लिए एक ग्राफ्ट का उपयोग करता है। ग्राफ्ट एक स्वस्थ टिश्यू होता है, जो शरीर के किसी अन्य भाग से लिया जाता है या किसी डोनर से प्राप्त किया जाता है।
ऑपरेशन के बाद, मरीज को आराम करने और घुटने को स्थिर रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, मरीज को फिजियोथेरेपी भी करनी पड़ सकती है, ताकि घुटने की गति और ताकत बढ़ सके।