BILASPUR. अरपा नदी के संरक्षण व संवधन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने नाराजगी इसलिए जताई कि अभी भी 70 से अधिक नालों का पानी बिना शोधन के सीधे अरपा नहीं में छोड़ा जा रहा है। नाराज कोर्ट ने राज्य शासन व निगम कमिश्नर को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। कोर्ट ने पूछा कि अरपा के जल को स्वच्छ रखने क्या काम किए जा रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश और परिपालन के संबंध में भी जानकारी मांगी है।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अरपा नदी के संवर्धन और संरक्षण को लेकर अधिवक्ता अरविंद कुमार शुक्ला और पेंड्रा निवासी रामनिवास तिवारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने अरपा नदी में बारहमासी पानी रहे और इसके साथ ही अरपा को संवारने व नदी में साफ पानी छोड़े जाने की मांग की है।
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात सामने आयी कि शहर के 70 छोटे-बड़े नालों का पानी कई वर्षों से बिना परिष्कृत किए नदी में छोड़ा जा रहा है। इसके चलते नदी प्रदूषित हो रही है। जनति याचिका की सुनवाई के दौरान राजस्व व वन भूमि के अधिग्रहण का मुद्दा भी सामने आया है।
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कोर्ट को जानकारी दी गई कि 5 एकड़ राजस्व और 5 एकड़ वन भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया राज्य के वित्त विभाग में अटक गई है। फाइल आगे नहीं सरक रही। कोर्ट ने राज्य शासन से पूछा कि प्रक्रिया कब तक पूरी होगी। इसकी जानकारी शपथ पत्र के साथ मांगी गई है।
निगम कमिश्नर को देना होगा जवाब
हाईकोर्ट ने नदी का पानी साफ करने की योजना पर नगर निगम कमिश्नर को शपथ पत्र के साथ्ज्ञ पूरी कार्ययोजना की जानकारी देने के निर्देश दिए है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
अरपा नदी को साफ रखने के साथ ही संरक्षण और संवर्धन को लेकर दायर इस जनहित याचिका पर पहले हुई सुनवाई में हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन से पूछा था कि अरपा नदी के संरक्षण व संवर्धन को लेकर अगर कार्ययोजना बनाई है तो उसकी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करें।