BILASPUR NEWS. सरकारी कर्मचारियों के घपले व घोटाले की खबरे अक्सर ही आती रहती है। खास तौर पर राजस्व विभाग इस मामले में सबसे आगे रहता है। किसी की भूमि किसी अन्य के नाम कर देना या फिर बिना घूस लिए काम नहीं करना। ये सब तो आम हो गया है लेकिन राजस्व विभाग के दो तहसिलदारों का कारनामा सामने आया है। जहां पर उन्होंने नियम को ताक पर रख शासकीय जमीन बिल्डर को दे दी। इस मामले के सामने आने पर तत्कालीन कलेक्टर ने दोनों ही तहसीलदारों पर निलंबन कार्रवाई की अनुशंसा की है। संभागायुक्त को की गई अनुशंसा में कलेक्टर ने तीन बिल्डरों को फायदा पहुंचाने व शासन को करोड़ों की हानि का जिक्र भी किया है।
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बता दें, शासकीय भूमि को बिल्डरों के द्वारा उपयोग किए जाने पर तीन बिल्डरों को जमीन के रास्ते के लिए आवंटन करने के मामले में शिकायकर्ता पंकज खंडेलवाल ने मामले की शिकायत कलेक्टर अवनीश शरण से की थी। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर अवनीश शरण ने जांच का जिम्मा ज्वाइंट कलेक्टर मनीष साहू को दिया था। जांच के बाद मिले साक्ष्य को ज्वाइंन कलेक्टर मनीष साहू ने कलेक्टर को सौंपा था।
जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टरी ने दोनों तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार शशि भूषण सोनी और नायब तहसीलदार शेषनारायण जायसवाल को निलंबित करने व विभागीय जांच करने के लिए संभाग कमिश्नर को प्रतिवेदन भेजा है। कलेक्टर ने अपनी अनुशंसा में लाभाविंत हुए तीनों बिल्डरों का ले आउट भी निरस्त किए जाने की बात कही है।
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क्या है पूरा मामला
पहले मामला कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त आदेश के अनुसार राज कंस्ट्रक्शन की जमीन खसरा क्रमांक 1330/ 2 रकबा 0.279 का रास्ता सरकारी जमीन से होकर जाता है। जमीन मालिक अर्जुन सिंह पिता शैलेन्द्र सिंह कछवाहा ने प्रकरण पेश कर शासकीय जमीन 1331 से रास्ते की मांग को लेकर आवेदन दिया था। तत्कालीन अतिरिक्त तहसीलदार शशिभूषण सोनी ने शासकीय जमीन पर 30 फिट चौड़ा रास्ता प्रदान किया। वह भी नियम के परे जाकर यह बात जांच में सामने आयी है।
वहीं दूसरे मामले में श्री राम सरिता बिल्डर्स एण्ड कालोनाईर्ज्स प्राइवेट लिमिटेड ने जमीन पर कंस्ट्रक्शन शुरू किया था। उसका रास्ता शासकीय जमीन से होकर गुजरता था। बिल्डर आशीष गुप्ता ने तत्कालीन तहसीलदार शशिभूषण सोनी के पास आवेदन पेश किया। प्रस्तुत आवेदन में आवेदक की जमीन खसरा नंबर 298/1 व 299/4 पर पहुंचने के लिए शासकीय भूमि खसरा नंबर 293 से 70 फिट का रास्ता मांग की गई। बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए अतिरिक्त तहसीलदार ने नियमों को ताक में रखकर शासकीय भूमि पर 70 फीट चौड़े रास्ते के निर्माण की अनुमति दे दी।