BILASPUR. धान खरीदी समिति में अक्सर ही गड़बड़ी की शिकायत मिलती है। कभी रजिस्ट्रेशन में तो कभी धान का फर्जीवाड़ा कर रकम गबन करने की। एक मामला धान खरीदी में फर्जीवाड़ा का मस्तूरी ब्लाक के मल्हार सेवा सहकारी समिति में 53 लाख गबन का आरोप जांच समिति ने लगाया है। इस संबंध में अपनी रिपोर्ट संयुक्त पंजीयक सहकारिता को सौंप दिया है। जांच कमेटी की रिपोर्ट के बाद संयुक्त पंजीयक ने रिकवरी के लिए नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही समिति प्रबंधक को दोषी अधिकरी व कर्मचारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने निर्देश जारी किए है।
बता दें, मामला मस्तूरी ब्लाक क्षेत्र के मल्हार का है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए मल्हार खरीदी केंद्र प्रभारी अजय सिंह ने समिति में रखे धान के उठाव को लेकर कलेक्टर व उप पंजीयक सहाकरिता को आवेदन पेश किया था। आवेदन के साथ हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी भी सौंपी थी। कोर्ट ने संबंधित अधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा था।
हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारी को 12 सप्ताह के भीतर आर्बिट्रेशन आवेदन में नियमानुसार कार्रवाई का निर्देश दिया था। कलेक्टर ने अपनी रिपोर्ट में साफ लिखा है कि अच्छे किस्म की धान खरीदी एवं उसके सुरक्षित रख-रखाव की संपूर्ण जिम्मेदारी समिति उपार्जन केन्द्र की होती है। सुरक्षा रख-रखाव एवं भंडारण के लिए राशि प्रदान की जाती है। धान उपार्जन एवं धान के समुचित सुरक्षा, रखाव एवं भंडारण के लिए आवेदक को शासन के नियमानुसार पर्याप्त राशि प्रदाय की गई है।
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लेकिन समिति द्वारा न तो उस राशि का व्यय का हिसाब प्रस्तुत किया गया है और न ही उपार्जित धान की सुरक्षा के लिए समुचित व्यवस्था की गई है। घान की कमी या धान का अमानक स्तर का पाया जाना समिति स्तर पर या तो शासन द्वारा निर्धारित गुणवत्ता स्तर के धान की खरीदी करने में समिति प्रबंधक द्वारा लापरवाही बरती जानी या खरीदे गए धान का उचित रख-रखाव ना करने के कारण भौतिक सत्यापन पर धान नहीं पाया गया या फिर अमानक स्तर का पाया गया है। इसके लिए समिति प्रबंधक उत्तरदायी है। समिति को तीन दिन का समय दिया गया है। इसके बाद मामले में एफआइआर दर्ज कराई जाएगी।
1700 क्विंटल से अधिक का शार्टेज मिला
आवेदक द्वारा धान के समुचित स्थान के संबंध में ऐसी कोई दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए है। जिससे कि यह पुष्ट हो की उसके द्वारा क्रय किए गए धान की समुचित देखभाल व रखरखाव की उचित व्यवस्था की गई हो। इससे शासन को क्षति हुई प्रकरण में संयुक्त जांच दल द्वारा जांच कर भौतिक सत्यापन किया गया। इसलिए इसमें पृथक से किसी जांच की आवश्यकता नहीं है। भौतिक सत्यापन में 1709 क्विंटल धान कम पाया गया। जो खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 की जारी धान उपार्जन नीति का उल्लंघन है।