BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बहू के आत्महत्या के लिए जिम्मेदार सास की याचिका पर 24 साल बाद कोर्ट में न्याय मिला। इस केस में कोर्ट के चक्कर लगाते-लगाते याचिकाकर्ता के पति की भी मृत्यु हो गई। लंबे समय तक इंसाफ के लिए लड़ रही सास को बहू के मौत का कारण होने के कलंक से मुक्ति मिली है। कोर्ट ने बुजुर्ग सास को सभी आरोप से दोषमुक्त किया है।
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बता दें, हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता शोभा व सुधारक राव के पुत्र सतीश की शादी 16 जनवरी 2001 को मृतका कामिनी के साथ दोनों पक्षों की उपस्थिति में हुई थी। शादी के 6 महीने बाद ही 14 अगस्त 2001 को कामिनी ने टाटानगर-नागपुर पैसेंजर के सामने कूद कर जान दे दी थी। कामिनी ने सुसाइड नोट छोड़ा था।
सुसाइड नोट में पूरी बात लिखी थी बताया कि राखी पर मायके नहीं जाने देने से नाराज थी उसने पति को माता-पिता सभी को अपने मौत के बाद सजा देने की बात भी लिखी थी। इस आधार पर सास-ससुर पर केस दहेज प्रताड़ना का केस अप्रैल 2002 में दर्ज किया गया।
इस पर ट्रायल कोर्ट ने सास-ससुर को 10 साल की सजा सुनाई थी। इसके विरोध में हाईकोर्ट में याचिकादायर कर अपील की थी। लेकिन काफी समय से मामला लंबित होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो रही थी लेकिन अब जाकर 24 साल बाद मामले की सुनवाई हुई।
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कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील ने साक्ष्य पेश किए। इसमें न तो दहेज लेने की मांग साबित हो पायी और न ही बहू को प्रताड़ित करना साबित हो पाया। कोर्ट में यह भी बताया गया कि बहू जिद्दी स्वाभाव की थी और गुस्से में आकर उसने आत्महत्या भी की थी। ऐसे में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सास को दोषमुक्त कर दिया है।