WAYANAD. केरल के पर्यटन स्थल वायनाड में भारी बारिश कहर बनकर बरसी। चोरल पर्वत पर एक के बाद एक तीन बार भूस्खलन हुआ। इससे पहाड़ के नीचे चेलियार नदी के कैचमेंट में बसे चाय बागान मजदूरों के चार गांव चूरलमाला, अट्टामाला, नूलपुझा और मुंडक्कई बड़े-बड़े पत्थरों और मिट्टी के मलबे में दफन हो गए। करीब 2200 आबादी के 400 से ज्यादा घर कुछ सेकंड्स में मलबे का ढेर बन गए। यहां दो दिन से भीषण बारिश हो रही थी। इस भूस्खलन 151 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।
सेना, नौसेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और केरल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी की मदद से देर रात तक मलबे से 123 से ज्यादा शव निकाले जा चुके थे। 128 घायल और 97 लापता हैं। सैकड़ों लोगों के दबे होने की आशंका है। सेना देर रात तक 1 हजार लोगों को मलबे से निकाल चुकी थी। मौसम विभाग ने बताया है कि अगले तीन घंटे में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होने वाली है। विभाग ने केरल के पथानामथिट्टा, अलाप्पुझा, कोट्टायम और एर्नाकुलम जिले में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है।
इस आपदा को देखते हुए सभी स्कूल कॉलेज बंद रहेंगे. केरल के 11 जिलों कासरगोड, कन्नूर, कोझीकोड, वायनाड, मलप्पुरम, पलक्कड़, त्रिशूर, इडुक्की, एर्नाकुलम, अलाप्पुझा और पथानामथिट्टा में भी छुट्टी का ऐलान कर दिया गया है। केरल के सीएम पी. विजयन के मुताबिक 3800 लोग 45 राहत कैंपों में हैं। थल सेना के 200, वायुसेना के 2 हेलिकॉप्टर, नेवी के 30 विशेषज्ञ तैराक मलबे में फंसे लोगों को निकाल रहे हैं। राज्य में दो दिन का शोक घोषित किया है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति ने भी घटना पर शोक जताया, जबकि वायनाड से सांसद रहे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी बुधवार को मौके पर जाएंगे।
कम समय में ज्यादा बारिश का पैटर्न, इसलिए ऐसी आपदा
अरब सागर के गर्म होने से बेहद घने बादल बन रहे हैं। इससे केरल में कम समय में भारी बारिश की घटनाएं और भूस्खलन बढ़े हैं। देश के 80% से 85% भूस्लखन अब केरल में ही होते हैं। वायनाड पहाड़ी जिला है और पश्चिमी घाट का हिस्सा है। यहां 2100 मी. तक ऊंचे पहाड़ हैं। मानसून में यह भूस्खलन के लिए बेहद संवेदनशील है। जहां घटना हुई, वहां 2 हफ्ते से बारिश हो रही थी। इससे पहाड़ की मिट्टी गीली और ढीली हो चुकी थी। इसलिए लगातार 3 बार भूस्खलन हुआ।