RAJNANDGAON. नक्सली हिंसा का शिकार हुए परिवार के लोगों ने छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति का लाभ नहीं मिलने का आरोप लगाया है। पीड़ित परिवारों ने कहा कि सरकार ने पुनर्वास नीति बना दी है, लेकिन उसका लाभ नक्सल पीड़ित परिवारों को नहीं मिल रहा है। वर्षों बीत जाने के बाद भी आवास के लिए भटकना पड़ रहा है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में नक्सल पीड़ित परिवार के लोगों ने पुनर्वास नीति में भेदभाव का आरोप लगाया है।
नक्सली हिंसा के शिकार हुए परिवारों के सुरक्षित व्यवस्थापन को लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार द्वारा पुनर्वास नीति बनाई गई है। इस पुनर्वास नीति के तहत नक्सल पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता, शासकीय नौकरी छात्रवृत्ति और आवास सहित कई सुविधाएं दी जानी है। अविभाजित राजनांदगांव जिले के मोहला, मानपुर, डोंगरगढ़ क्षेत्र में नक्सली हिंसा का शिकार हुए परिवार के लोगों को पुनर्वास नीति से नौकरी और आर्थिक सहायता तो मिल गई लेकिन वे अपने आवास के लिए 17-18 वर्षों से भटक रहे हैं, लेकिन अब उन्हें आवास के सुविधा नहीं मिल पाई है।
नक्सल पीड़ित परिवारों की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए धीरेंद्र कुमार ने कहा कि पुनर्वास नीति में भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 में यह नीति बनाई गई है। इससे उन्हे नौकरी और आर्थिक सहायता मिली है, लेकिन आवास एवं छात्रवृत्ति अब तक नहीं दी गई है। इसके लिए राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर अन्य मंत्री व प्रशासनिक अधिकारियों तक कई बार गुहार लगा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि लगभग 120 नक्सल पीड़ित परिवार है जिन्हें पुनर्वास नीति के तहत आवास का आवंटन नहीं किया गया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए धीरेंद्र कुमार ने कहा कि वर्ष 2021 में जिला पुनर्वास समिति द्वारा 35 परिवारों को मकान उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब जिला पुनर्वास समिति द्वारा कहा जा रहा है कि आप लोग पात्रता नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा कि अन्य जिलों में इसी नीति के तहत मकान दिया गया है, तो फिर राजनांदगांव जिले में दोहरी नीति क्यों चलाई जा रही है।
अविभाजित राजनांदगांव जिले में नक्सली हिंसा में किसी ने अपने पिता को खोया है, किसी ने अपने पुत्र को और किसी ने अपने भाई को लेकिन अब तक इन पीड़ित परिवारों की पीड़ा ना सरकार समझ पाई और ना स्थानीय प्रशासन! ऐसे में इन परिवार के लोगों को पुनर्वास नीति के तहत अपने अधिकारों के लिए अब तक संघर्ष करना पड़ रहा है।
समय-समय पर यह लोग कलेक्ट्रेट कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री निवास तक अपनी फरियाद लेकर जाते हैं, लेकिन इन्हें आवास की जगह आश्वासन दिया जाता है। ऐसे में अब नक्सल पीड़ित परिवार के लोगों ने अपनी मांगे पूरी नहीं होने पर राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना प्रदर्शन करने का मन बना लिया है।