Tirandaj.com. ज़ीनत अमान जैसी दूसरी स्टार कोई हिंदी फिल्मों में आज तक नहीं हुई| आज भी उनकी स्टाइल, उनके बेवाक अंदाज़, वस्त्रों के चयन का कोई जवाब नहीं| निस्संदेह आज भी उसका जोड़ मिलना नामुमकिन है| “हरे राम हरे कृष्ण” में गांजे की चिलम फूंकती “दम मारो दम, मिट जाये गम” गाती नशे में झूमती नवयुवती हो चाहे “कुर्बानी” में उनका “लैला मैं लैला” कैब्रे हो या “आप जैसा कोई मेरी ज़िंदगी में आये” हो अथवा समुद्रतट के बिकिनी वाले दृश्य, असंख्य लोगों को दिल का दौरा पड़ते पड़ते बचता था, फेफड़ों में वायु का अंदर बाहर संचार – हाय हाय…. में बदल जाता था| आज भी जब वे अनेक रियलिटी शोज़ में आती हैं तो उनका एटीट्यूड देखते ही बनता है| जब उनके जीवन पर फिल्म बनाने की बात चली तो उन्होंने साफ़ कह दिया : 1. मेरी सहमति के बिना फिल्म नहीं बनने दूंगी और 2. “Show Me The Money” मेरे जीवन पर फिल्म बने तो अच्छा खासा रोकड़ा मेरी तरफ भी सरकना चाहिए|
ये बात वर्ष 1985 की है जब मेरी पोस्टिंग भावनगर (गुजरात) में थी| भावनगर, जो आजादी के पूर्व एक बड़ी रियासत थी, भारत में अपने विलय की सहमति देने वालों में सर्वप्रथम थी| इसके भूतपूर्व महाराजा श्री वीरभद्र सिंह गोहिल के जमाखाते हमारे बैंक में होने के कारण उनसे मिलने का भले ही मात्र दो बार और वह भी कुछ क्षणों के लिए सुअवसर मिला हो, उनके ADC (निजी सहायक) श्री किरीटभाई पटेल अक्सर बैंक आते और मेरे साथ समय बिताते| प्राइवेट बैंकों का लगभग न होना और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सीमित शाखाएं होने के कारण उस समय बैंक अफसर होना समाज में बड़े सम्मान की बात हुआ करती थी| जैसी कि मेरी आदत थी, मैं महाराजा संबंधी कार्य तत्परता से तो करता ही, किरीटभाई को चाय भी पिलाता| श्री किरीटभाई पटेल के क्रिकेटर सुपुत्र श्री अशोक पटेल से भी मुलाक़ात होती, जो उस समय सौराष्ट्र रंजी टीम के कप्तान होने के साथ ही भारत की क्रिकेट टीम में चयन हो जाने के कारण भी चर्चा में थे| हालाँकि अशोक पटेल शायद ही कुछ टेस्ट मैच खेल सके|
बहुत कम लोग जानते होंगे कि प्रख्यात फिल्म स्टार “शम्मी कपूर” की दूसरी पत्नी नीला देवी भावनगर की राजकुमारी और महाराजा वीरभद्र सिंह जी गोहिल की सगी बहिन थीं| भावनगर के राजनिवास “नीलमबाग पैलेस” में फिल्मों की शूटिंग हुआ करती थी, इसे एक आलीशान हेरिटेज होटल की तरह भी प्रयोग किया जाता| उन दिनों काफी दिनों से जीनत अमान, जैकी श्रॉफ, संजीव कुमार और प्रिया राजवंश अभिनीत फिल्म “हाथों की लकीरें” शूटिंग भावनगर शहर और राजनिवास में चल रही थी|
एक दिन किरीटभाई बैंक आये और बोले : मालवीय साहब, अगर आपको इन फिल्म स्टार्स से मिलने और शूटिंग देखने की इच्छा हो तो आज रात आठ बजे नीलमबाग पैलेस आ जायें| हमने लगभग बीस पच्चीस ख़ास लोगों के लिए विशेष इंतज़ाम किया हुआ है| मैं और मेरे सहयोगी श्री शक्तिदानभाई गढ़वी ठीक समय पर पहुँच गए, महल के द्वार पर किरीटभाई आकर हमें अंदर ले गए और विशाल हॉल में कोने पर सलीके से लगे सोफाओं में से एक पर हमें बिठा दिया और हमारे चायपानी का भी आर्डर कर दिया| जहाँ बीच में पटरियों पर सरकने वाली ट्राली और उसकी सीढीनुमा कुर्सी पर कैमरामैन बैठा हुआ था, वहीं एक ओर वृद्ध लेकिन गरिमामय भारतीय सिनेमा को अनेक महान फ़िल्में देने वाले निर्देशक चेतनानंद (देवानंद के बड़े भाई) पूरी कमान संभाले हुए थे|
थोड़ी ही देर में शूटिंग शुरू हो गयी| दृश्य था नए दूल्हा और दुल्हन के रूप में जैकी श्रॉफ और जीनतअमान एक सुसज्जित आलीशान कार में महल के पोर्टिको पर रुकते हैं, कार से जैसे ही उतरते हैं दरवाजे पर दोनों तरफ खूबसूरत पोशाकों में पंक्तिबद्ध खड़ी लडकियां उनकी आरती उतारती हैं उन पर पुष्प वर्षा करती हैं, वे और आगे बढ़ते हैं जहाँ माता दीना पाठक खड़ी हुई हैं, दोनों झुककर उनके पैर छूते हैं, वे उन्हें आशीर्वाद देती हैं| चेतानानंद साहब ने स्थानीय संभ्रांत परिवारों की सुंदर लड़कियों को इस दृश्य में ले लिया था| एक लड़की, जो हमारे मित्र आकोलकर की बहिन थी और उपस्थित लड़कियों में सबसे खूबसूरत भी, आने वाले समय में स्वयं को किसी हीरोइन से कम नहीं समझती और ऐंठ दिखाया करती|
जैकी और ज़ीनत कार से उतरते, आगे बढ़ते, आरती के लिए लडकियां तैयार… इतने में ही चेतानानंद की आवाज़ आती – कट, कट… “ओ हीरो”, तू शादी करके आ रहा है या पिट कर आ रहा है, ये कैसा चेहरा बना रखा है| फिर, ये इतना क्यों बांछें खिला रहा है, कोई जोक सुन लिया क्या…. या… हीरो, तेरे चेहरे पर ग्रेस क्यों नहीं दिख रहा| हर रिटेक के बाद जहाँ दीना पाठक उस सोफे पर आकर बैठ जातीं जहाँ हम बैठे थे, वहीं ज़ीनत अमान अपनी चीनी हेयर ड्रेसर के साथ सामने कमरे में बैठ जातीं और एक इंग्लिश नावेल पढ़ने लगतीं| जैकी श्रॉफ के साथ एक लड़का था जो तुरंत हर रिटेक के बाद एक नई बीड़ी सुलगाकर उन्हें पकड़ा देता, वे वहीं हॉल में सुट्टा लगाते हुए बैठे रहते|
जैसे ही सीन फिर से होने की आवाज लगती, लड़का जैकी को लिस्टरीन की बोतल थमा देता वे कुल्ला करने लगते| ज़ीनत को बाकायदा बुलावा भेजना पड़ता और वे पांचेक मिनिट बाद आतीं| दस बारह रिटेक के बाद मैं और गढ़वी भाई बोर हो गए और अंदर महल की बारादरी में चले गए| वहीं बाजू में एक फोन बूथ पर बात करते एक महिला मिली| सफ़ेद शलवार कुर्ता और नज़र का चश्मा लगाये महिला को देखकर गढ़वी भाई बोले – मालवीय साहब, इन्हें कहीं देखा लगता है| ध्यान से देखा तो वे हीरोइन “प्रिया राजवंश” थीं जो चेतनानंद की हर फिल्म में मुख्य पात्र हुआ करती थीं, उनके साथ लिव-इन में रहती थीं| आगे देखा तो हलके से उजाले अँधेरे के मिश्रण में लॉन पर क्रीम कलर की सिल्क की लुंगी और उसी का कुर्ता पहने अपने हरिभाई ज़रीवाला उर्फ़ “संजीव कुमार” जी टहल रहे थे| हमने उनसे हाथ मिलाया, वे अत्यंत कमज़ोर दिख रहे थे| बोले – इस सीन के बाद मेरा सीन है, इंतज़ार करते हुए वे झुंझला रहे थे| खैर, जब हम उनसे ज्यादा चिपकने लगे तो वे हमसे पीछा छुड़ाकर अपने सुइट में चले गए| कुछ ही महीनों बाद उनकी दुखद मृत्यु का समाचार हमें एक धक्के की तरह लगा| अभिनय की पराकाष्ठा को छूने वाला भारतीय सिनेमा में उन जैसा महान अभिनेता दूसरा नहीं हुआ|
खैर…. एक ही दृश्य करते करते रात के दो बज गए, हमारे बोर होने की सीमा नहीं थी| जैसे ही पैकअप की घोषणा हुई, सभी ने राहत की सांस ली| लडकियां, जो बेचारी घंटों से आरती उतारते, पुष्पवर्षा करते करते थक गयी थीं ने जैकी श्रॉफ और ज़ीनत अमान से एक ग्रुप फोटो खिंचवाने का अनुरोध किया| शूटिंग में कैमरा एलाउड न होने से क्रेन पर लगी सीढ़ी की कुर्सी पर बैठे कैमरामैन के पास ही एकमात्र स्टिल कैमरा था| जैकी और ज़ीनत को बीच में कर सारी लडकियां कतार में खड़ी हो गयीं| जैकी ने कैमरामैन से कहा – “दादा, एक फोटो खींच दो|” कैमरामैन (अंगड़ाई के साथ उबासी लेते हुए) : “सॉरी हीरो, बहुत थक गया हूँ|” जैकी : “अरे दादा, एक फोटो की ही तो बात है ये गर्ल्स बेचारी पूरी रात से मेहनत कर रही हैं|” कैमरामैन : “नहीं जैकी भाई, मेरे बस का नहीं है, जाकर सीधा सो जाऊँगा|” जैकी : “अरे दादा, एक मिनिट भी नहीं लगेगा आपको, प्लीज़, मेरी पर्सनल रिक्वेस्ट है आपसे|”
ध्यान रहे कि उस समय जहाँ जैकी श्रॉफ की मात्र एक फिल्म “हीरो” हिट हुई थी और उसके बाद शायद एक दो फ्लॉप फ़िल्में आयी थीं वहीं ज़ीनत अमान का जलवा अपने चरम पर था| जैकी जहाँ बारबार मिन्नतें कर रहे थे वहीं ज़ीनत एकदम शांत खड़ी हुई थीं, हम लोग तमाशा देखते हुए आश्चर्यचकित को रहे थे कि हीरो जैसे गिड़गिड़ा रहा है वहीं कैमरामैन नखरे दिखाने से बाज़ नहीं आ रहा| अंत में कैमरामैन जैसे अहसान करते हुए कुछ निर्देश देता बोला, “ठीक है आप लोग अच्छी तरह खड़े हो जायें, फलाना थोड़ा इधर ढिकाना उधर, पास दूर बोला|” परंतु ये क्या, जैसे ही उसने बोला “रेडी”…. ज़ीनत अमान लाइन से निकलीं और तेज़ी से अपने कमरे की ओर बढ़ गयीं| जैकी श्रॉफ एकदम अवाक… “मैडम, मैडम बस एक मिनिट की बात है..” बोलते हुए कुछ कदम पीछे पीछे भागे लेकिन ज़ीनत बिना रुके, बिना मुड़े सनसनाते हुए अपने कमरे में और दरवाज़ा बंद| बाद में लड़कियों ने सिर्फ जैकी के साथ फोटो खिंचवाकर तसल्ली की|
हम लोग देखकर दंग रह गए… ओहो, ये होता है टॉप स्टार्स का स्वैग… ज़ीनत का मशहूर नखरा… आज भी याद आता है तो दिमाग में पूरा दृश्य वीडियो की तरफ घूम जाता है| उम्मीद करता हूँ गढ़वी भाई भी इसे पढ़ेंगे और उन्हें भी ध्यान होगा, आखिर ज़ीनत अमान का साक्षात जलवा, वह भी उनके कैरियर, जवानी और खूबसूरती के चरम पर, आखिर कोई कैसे भूल सकता है| आज भले ही स्टार्स की फ़िल्में सैकड़ों करोड़ का कारोबार करती हों, उनमें वह बात, वह स्वैग कहाँ?
लेखक : अतुल मालवीय