BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में श्रीराम लला दर्शन योजना को बंद करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। जिसकी पहले कोर्ट ने सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। लेकिन बुधवार को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने करते हुए याचिका को खारिज करते हुए योजना को जारी रखने के लिए हरी झंडी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि इस योजना के खिलाफ पेश जनहित याचिका को जनहित के नहीं मानते हुए खारिज कर दिया है।
बता दें, बिलासपुर जिले के देवरीखुर्द निवासी याचिकाकर्ता लखन सुबोध ने इसे संविधान में दिए गए प्रावधानों के खिलाफ बताते हुए योजना को बंद करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।
राम लला दर्शन योजना संविधान में निहित बातों और शर्तों के विपरीत है। उन्होंने धर्म निरपेक्षता पर तर्क देते हुए योजना को बंद करने के लिए राज्य शासन को आदेशित करने का आग्रह किया था।
किसी जाति धर्म के आधार पर नहीं है ये योजना
राज्य शासन की ओर से कोर्ट में पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि रामलला दर्शन योजना किसी धर्म या जाति के आधार पर नहीं की गई है। यह योजना धर्म या जाति के आधार पर नहीं की गई है।
यह योजना धर्म याजाति के आधर पर फर्क भी नहीं करता है। यह प्रदेशवासियों के भ्रमण के लिए है।
प्रदेश में रहने वाले उन गरीबों के लिए यह योजना लाभदायक है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जो धार्मिक यात्रा पर नहीं जा पाते। वे फ्री में आयोध्या पहुंच जाएंगे और राम लला के दर्शन कर वापस आ जाएंगे।
मामले की सुनवाई के दौरान कहा गया कि यह राज्य सरकार का नीतिगत निर्णय है जिस पर हाईकोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता।