BILASPUR. विचारण न्यायालय यानी की ट्रायल कोर्ट जिसे क्षेत्र विशेष में न्यायिक मामलों पर सबसे पहले अधिकारिता होती है। जहां किसी भी मुकदमे का विचारण सबसे पहले किया जाता है। यहीं पर दोनों पक्ष अपना पक्ष सातिब करतने के लिए प्रस्तुत किए गए प्रमाण भी परखे जाते है। अब इस अदालत की गरिमा का ध्यान रखना होगा। इसके तहत निचली अदालत या अंग्रेजी में लोवर कोर्ट नहीं कह सकेंगे।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने अधिसूचना जारी कर ट्रायल कोर्ट को निचली अदालत के रूप में संदर्भित नहीं करने को लेकर निर्देशित किया है। साथ ही यह भी कहा है कि ट्रायल कोर्ट के रिकार्ड को लोअर कोर्ट रिकार्ड के रूप में संदर्भित नहीं किया जाए।
इसके बजाए इसे ट्रायल कोर्ट रिकार्ड के रूप में संदर्भित करना होगा। विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश देशभर में हाईकोर्ट के लिए जारी किया है।
इसे गंभीरता से पालन करना होगा
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को गंभीरतापूर्वक पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी निर्देशित किया है कि यह उचित होगा कि इस न्यायालय की रजिस्ट्र ट्रायल कोर्ट की निचली अदालत के रूप में संदर्भित करना बंद कर दें। यहां तक कि रिकार्ड में भी इस तरह के शब्दों का उल्लेख ना किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुकत याचिका(एसएलपी) दायर की थी। याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रमुख पक्षकार बनाया था। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में कहा कि रजिस्ट्री ट्रायल कोर्ट के रिकार्ड की साफ्ट कापी मांगेगी।
उसकी साफ्ट कापी दोनों पक्ष की ओर से उपस्थित होने वाले वकील को उपलब्ध करायी जाएगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वकील अभियोजन पक्ष के गवाहों के सभी बयानों और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों के मुद्रित संस्करण को रिकार्ड पर रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ट्रायल कोर्ट को लोवर कोर्ट रिकार्ड के रूप में संदर्भित नहीं किया जाना चाहिए।
इसे ट्रायल कोर्ट रिकार्ड रजिस्ट्रार के रूप में संदर्भित किया जाना चाहिए। विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई के बाद दिए गए फैसले की खास बात ये कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की कापी देशभर के हाईकोर्ट को प्रेषित करने और निर्देश का परिपालन करने का निर्देश दिया।