BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की आदेश की अवहेलना के आरोप से घिरे राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि नोटिस मिलने के बाद तत्काल कोर्ट के समक्ष जवाब पेश किया जाए। स्थानांतारण से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने डीजीपी को नोटिस जारी कर दो महीने के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन का निराकरण करने के निर्देश दिया था। तय अवधि में निराकरण ना होने पर याचिकाकर्ता ने डीजीपी के खिलाफ न्यायालयीन आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दायर कर दी है। याचिका की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे के बेंच में हुई।
बता दें, राजनांदगांव निवासी श्रवण कुमार चौबे सीआइडी रायपुर में निरीक्षक के पद पर पदस्थ हैं। उनके द्वारा गृह जिला राजनांदगांव में पदस्थ किए जाने के लिए हाईकोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा को एक अप्रैल 2006 के स्थानांतरण नीति के तहत दो महीने के भीतर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर कार्रवाई नहीं की गई।
न्यायालयीन आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व दुर्गा मेहर के माध्यम से डीजीपी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है। अवमानना याचिका की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे के सिंगल बेंच में हुई।
प्रकरण की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने कहा कि सचिव छत्तीसगढ़ शासन गृह विभाग द्वारा एक अप्रैल 2006 को जारी पुलिस विभाग में स्थानांतरण नीति के पैरा 04 में स्पष्ट किया है कि जो पुलिस अधिकारी व कर्मचारी 60 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके हैं एव उनके सेवानिवृत्ति को सिर्फ दो वर्ष शेष हैं, उन्हें गृह जिला या पसंद के जिले में पदस्थ किये जाने का प्रविधान है।
याचिका में इस बात की भी जानकारी दी गई कि पूर्व में सुनवाई के बाद कोर्ट ने डीजीपी को दो महीने के भीतर अभ्यावेदन का निराकरण करने का निर्देश दिया था। जिस पर आजतलक डीजीपी सतर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। निराकरण ना होने के कारण न्यायालयीन आदेश की अवहेलना हो रही है।
अवमानना पर सजा का प्रावधान
अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने हाईकोर्ट के जारी दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि अवमानना अधिनियम 1971 के उपनियम 12 में न्यायालय के आदेश की अवमानना पर छह माह का कारावास एवं दो हजार रुपये जुर्माना का भी प्रविधान है।
न्यायालय का कीमती समय बचाने के लिए न्यायालयीन आदेश की अवहेलना के आरोप में जिन अफसरों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की जा रही है।