CHINA NEWS. भारत के साथ मिशन मूल को लेकर मुकाबले में उतरे चीन को बहुत बड़ा झटका लगा है और उसका चंद्रमा मिशन फेल हो गया है। ताजा रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक उसके दो सैटेलाइट अंतरिक्ष में गायब हो गए है। चीन के दो राकेट, जो चंद्रमा मिशन पर थे वो टेक्निकल वजहों से अपने रास्तों से भटक गया और अंतरिक्ष में गायब होने के बाद अपनी नियोजित कक्षा में पहुंचने से नाकाम हो गया है। चीनी चंद्र मिशन के हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम को ये बहुत बड़ा झटका है।
बता दें, चीनी सैटेलाइट लांच सेंटर ने गुरुवार को एक प्रेस रिलीज में कहा है कि डीआरओ-ए और डीआरओ-बी के नाम वाले इन दोनों उपग्रहों को बुधवार शाम को सिचुआन प्रांत के जिचांग सैटेलाइट लांच सेंटर से लांच किया गया था। इन दोनों सैटेलाइट्स को युआनझेंग-1एस अपर स्टेज एयरक्राफ्ट से अंतरिक्ष में ले जाया गया था, जिसमें लांग मार्च-2सी कैरियर राकेट जुड़ा हुआ था।
प्रेस रिलीज में कहा गया है, कि राकेट का पहला और दूसरा चरण सामान्य रूप से संचालित हुआ, जबकि ऊपर चरण में उ़ड़ान के दौरान एक असामान्यता का सामना करना पड़ा जिससे उपग्रह, पूर्व निर्धारित कक्षा में सटीक रूप से प्रवेश करने में नाकाम हो गए।
चीनी सरकार के शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने लांच सेंटर का हवाला देते हुए बताया है, कि फिलहाल पता लगाया जा रहा है, कि आखिर ये दोनों सैटेलाइट अचानक अंतरिक्ष से कैसे गायब हो गये। एजेंसी ने कहा है कि इन दोनों सैटेलाइट अचानक अंतरिक्ष से कैसे गायब हो गये। एजेंसी ने कहा है कि इन दोनों सैटेलाइट्स को चंद्रमा की ओर ले जाने और डिस्टेंट रेट्रोग्रेड आर्बिट में प्रवेश कराने की थी। डीआरओ आर्बिट चंद्रमा की सतह से हजारों किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित है जो एक स्थिर जगह है और इस स्थान से कोई एयरक्राफ्ट बिना ईंधन का इस्तेमाल किए लंबे समय तक ट्रैक पर रह सकता है।
इस जगह पर पहुंचने के बाद इन दोनों सैटेलाइट्स को आगे उड़ते हुए डीआरओ-एल नाम के तीसरे सैटेलाइट से कम्यनिकेशन स्थापित करना था जिसे पिछले महीने जीलांग 3 राकेट से कामयाबी के साथ पृथ्वी के लोअर आर्बिट में स्थापित किया गया था।
इस दोनों इन सैटेलाइट्स को लेजर आधारित पृथ्वी से चंद्रमा तक नेविगेशन टेक्नोलाजी का टेस्ट करना था, लेकिन चीन का ये प्रोजेक्ट फेल हो गया है। साउथ चायना मार्निंग पोस्ट की रिपोर्ट में बीजिंग स्थिति कुछ इंजीनियरों के हवाले से कहा गया है कि संभवतः राकेट का इंजन खराब होने की वजह से ये मिशन फेल हो गया है।
हालांकि चीनी इंजीनियर अभी भी कोशिश कर रहे हैं, प्रोपैलैंड का इस्तेमाल करते हुए दोनों सैटेलाइट्स को आगे भेजा जाए, लेकिन ऐसे होने पर इन दोनों सैटेलाइट्स की लाइफलाइन काफी कम हो जाएगी।