RAIPUR. छत्तीसगढ़ विधानसभा में सत्तापक्ष के विधायक अपनी ही सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं। नए विधायक हों या सीनियर विधायक। प्रश्नकाल हो या ध्यानाकर्षण। नई सरकार के मंत्री अपनी ही पार्टी के सदस्यों से घिरते नजर आ रहे हैं। आखिर अपनी ही सरकार पर क्यों फूट रहा है गुस्सा। यह सवाल उठ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत के साथ ही सत्तापक्ष सदन में अपने ही विधायकों के तीखे तेवर से जूझ रहा है। प्रश्नकाल से लेकर ध्यानाकर्षण तक एक के बाद एक कई वरिष्ठ विधायक सरकार से तीखे सवाल करते और अपनी ही सरकार को घेरते नजर आ रहे हैं। इससे मंत्रीगण असहज तो हो ही रहे हैं। कई मामलों में सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों पर सवालिया निशान भी लग रहा है।
मंगलवार को भी विधानसभा में ऐसा ही नजारा देखने मिला। जब प्रश्नकाल के दौरान वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक ने शराब दुकानों और क्लबों के देर रात तक खुले रहने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, देर रात तक शराब दुकानों और क्लबों के खुले रहने से अपराध की घटनाएं घटित हो रही है। इसी तरह ध्यानाकर्षण के दौरान जशपुर जिले में पुलिया निर्माण को लेकर वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर उपमुख्यमंत्री अरुण साव को घेरते नजर आए।
उपमुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट अजय चंद्राकर ने सदन में कह दिया, अगर सही तरीके से जवाब ही नहीं मिल रहा तो सवाल करने का क्या मतलब। इससे पहले भी अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, धरमलाल कौशिक, सुशांत शुक्ला, रिकेश सेन समेत सत्तापक्ष के कई विधायक अपनी ही सरकार को घेरते नजर आए हैं। भाजपा विधायक सदन में जनता से जुड़े मुद्दों को उठाकर जहां शासन का ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं।
सरकार की कार्यप्रणाली से उनके ही विधायक संतुष्ट नहीं : कांग्रेस
वहीं कांग्रेस का कहना है, सरकार की कार्यप्रणाली से उनके ही विधायक संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए बार-बार अपनी ही सरकार के मंत्रियों को घेरते नजर आते हैं। वहीं कांग्रेस विधायक अटल श्रीवास्तव का कहना है कि बीजेपी के नए विधायकों के मंत्री बनने से बीजेपी के वरिष्ठ विधायक परेशान है। साथ जवाबों में भी हेरा फेरी हो रही है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की नई सरकार में अधिकतर मंत्री नए हैं। जबकि कई वरिष्ठ विधायक भी चुनकर आए हैं। ऐसे में नए नवेले मंत्रियों को वरिष्ठ विधायकों के तीखे सवालों से जूझना तो पड़ ही रहा है। वरिष्ठ विधायक सदन में अपने परफॉर्मेंस के माध्यम से मंत्री के एक रिक्त पड़े पद पर भी दावेदारी करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में फ्लोर मैनेजमेंट भाजपा के रणनीतिकारों के लिए एक बड़ी चुनौती भी बनी हुई है।