BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जमानतीय केस में महिला को मजिस्ट्रेट ने जेल जाने का वारंट जारी किया। इसके बाद बेल याचिका भी खारिज कर दी। महिला ने मजिस्ट्रेट के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट से इंसाफ के लिए गुहार लगाई। कोर्ट ने मजिस्ट्रेट का फटकार लगाते हुए 25 हजार क्षतिपूर्ति देने आदेश जारी किया।
बता दें, जांजगीर जिले के नवागढ़ की रहने वाली 73 वर्षीय महिला को वर्ष 2021 में शिवरीनारायण के आबकारी इंस्पेक्टर ने 3 लीटर देशी शराब के साथ पकड़ा था। उसके खिलाफ आबकारी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। जमानतीय धाओं के तहत कार्रवाई होने पर उसे मुचलके पर छोड़ दिया गया था।
मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए महिला ने अधिवक्ता गौरव सिंघल के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई। उचित कार्रवाई करते हुए क्षतिपूर्ति की भी मांग की।
सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के डिवीजन बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मूल अधिकारों का हनन हुआ है।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद यचिकाकर्ता के तर्क से सहमति जताते हुए महिला को 30 दिन के भीतर 25 हजार क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया।
जानकारी के बिना जारी हो गया वारंट
महिला को वारंट की जानकारी ही नहीं हो पायी थी। 14 मार्च 2021 को आबकारी पुलिस ने महिला को बिना जानकारी दिए ही जांजगीर-न्यायालय में चालान पेश कर दिया।
इस दौरान महिला की उपस्थिति के लिए कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था। जिसकी तामिली भी नहीं कराई गई और इसकी सूचना भी उन्हें नहीं दी गई। इस दौरान 10 मई 2023 को महिला को अधिवक्ता के माध्यम से पता चला कि कोर्ट ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
इसके बाद महिला 7 दिसंबर को कोर्ट में उपस्थित हुई और जमानत आवेदन प्रस्तुत किया, लेकिन मजिस्ट्रेट ने उसे जेल भेज दिया। 7 दिन बाद सत्र न्यायालय से उसकी जमानत हुई।