BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अरपा नदी के संरक्षण व संवर्धन को लेकर एक बार फिर से कोर्ट ने गंभीरता दिखाई है। कोर्ट में जस्टिस गौतम भादुड़ी के डिवीजन बेंच में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने समिति से पूछा कि अरपा के संरक्षण को लेकर किस विभाग के अफसर है जो गंभीरता नहीं बरत रहे है।
दिशा-निर्देशों के परिपालन में गंभीरता क्यों नहीं दिखा रहे है। डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर कार्ययोजना के संबंध में जानकारी मांगी है। इसके अलावा भू जल स्तर को बनाए रखने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने व लोगों को जागरूक करने का निर्देश दिया है।
बता दें, अरपा नदी के संरक्षण व संवर्धन को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं की एक समिति का गठन किया है। समिति को विभिन्न पक्षों से चर्चा के बाद वृहद रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश कोर्ट ने दिया था। समिति के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि राज्य शासन के विभिन्न विभागों के अफसर इस संबंध में सहयोग नही ंकर रहे है।
समिति के एक सदस्य ने बताया कि अरपा नदी के किनारे वन विभाग की योजना के तहत लोगों को वन अधिकार पट्टा के जरिए भूमि आबंटन किया गया है। इसके अलावा सामुदायिक भूमि का आबंटन किया गया है। वन विभाग के अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी मांगे जाने पर व जानकारी नहीं दे रहे है। सहयोग करने के मूड में भी दिखाई नहीं दे रहे है।
नाली व नालियों को एल वन व एल टू को समझाया
राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ताओं ने बताया कि राज्य शासन की योजना नरवा गरूवा घुरूवा व बाड़ी योजना के तहत छोटी व बड़ी नालियों की साफ-सफाई का काम कराया गया है। दो नदियों के बीच जहां मुख्य जल स्त्रोत होता है यहां नालियां होती है उसे एल वन कहा जाता है। इससे बड़ी नालियों को एलटू और नाले को एल थ्री कहते है। ये सभी जहां मिलते है उसे बेसिन कहा जाता है। अधिवक्ता ने बताया कि साफ-सफाई का काम 80 फीसदी हो चुका है।