MUMBAI. मशहूर गजल गायक पंकज उधास का सोमवार को 72 साल की उम्र में निधन हो गया है। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी नायाब उधास ने सोशल मीडिया पर साझा की है। गजल गायक पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें 10 दिन पहले मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।
पंकज उधास पैंक्रियाज कैंसर से जूझ रहे थे। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा। फिलहाल उनका पार्थिव शरीर अस्पताल में ही रखा गया है। पंकज उदास को 2006 में भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से नवाजा था। पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था।
वो अपने तीनों भाइयों में सबसे छोटे थे। उनका परिवार राजकोट के पास चरखाड़ी नाम के एक कस्बे का रहने वाला था। पंकज उधास को बड़ी पहचान फेमस गजल ‘चिट्ठी आई है…चिट्ठी आई है…’, चांदी जैसे रंग है तेरा, सोने जैसे बाल.. से मिली थी।
संगीत एकेडमी से पंकज ने पढ़ाई की
पंकज के दोनों भाई मनहर और निर्जल उधास म्यूजिक इंडस्ट्री में जाना-पहचाना नाम हैं। पेरेंट्स को लगा कि पंकज भी अपने भाइयों की तरह म्यूजिक फील्ड में कुछ बेहतर कर सकते हैं, जिसके बाद पेरेंट्स ने उनका एडमिशन राजकोट में संगीत एकेडमी में कराया था।
काम नहीं मिला तो विदेश चले गए
संगीत एकेडमी में कोर्स पूरा करने के बाद पंकज कई बड़े स्टेज शो पर परफॉर्मेंस करते थे। वो अपने भाइयों की तरह ही बॉलीवुड में जगह बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने 4 साल तक संघर्ष किया। उन्होंने फिल्म कामना में अपने एक गाने को आवाज दी थी, लेकिन वो फिल्म फ्लॉप हो गई, जिस वजह से उन्हें कोई खास पॉपुलैरिटी नहीं मिली। काम नहीं मिलने से दुखी होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने का फैसला किया।
पंकज को पहले गाने पर मिले 51 रुपये
पंकज ने कभी नहीं सोचा था कि वो अपना करियर सिंगिंग में बनाएंगे। उन दिनों भारत और चीन के बीच युद्ध चल रहा था। इसी दौरान लता मंगेशकर का ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना रिलीज हुआ था। पंकज को ये गाना बहुत पसंद आया।
उन्होंने बिना किसी की मदद से इस गाने को उसी लय और सुर में तैयार किया। एक दिन स्कूल टीचर ने एक कल्चरल प्रोग्राम में पंकज से गाने की फरमाइश की। पंकज ने ऐ मेरे वतन के लोगों गाना गया। उनके इस गीत से वहां बैठे सभी लोगों की आंखें नम हो गईं। उन्हें खूब वाहवाही मिली। दर्शकों में से एक आदमी ने इनाम में उन्हें 51 रुपये दिए।