NEW DELHI. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न मिलेगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने घोषणा के बाद कहा कि आज देश ने अपने एक महान सपूत, पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि लाल कृष्ण आडवाणी का ये सम्मान इस बात का प्रतीक है कि राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन खपाने वालों को राष्ट्र कभी नहीं भुलाता है। उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य रहा कि उनका स्नेह, मार्गदर्शन मुझे निरंतर मिलता रहा।
पीएम मोदी ने कहा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने भी उनसे बात की और इस सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें बधाई दी। वह हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक हैं और भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
दरअसल, साल 1990 के सिंतबर महीने में लाल कृष्ण आडवाणी की अगुवाई में गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या के लिए एक यात्रा निकाली गई थी। इस यात्रा का नाम था किराम रथ यात्रा। इस दौरान आडवाणी ने अपने संबोधन में कहा कि सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे।
इस रथ यात्रा ने भारत की राजनीति को हिलाकर रख दिया था। राम रथ यात्रा में लाल कृष्ण आडवाणी के साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। गुजरात के सोमनाथ मंदिर से इस यात्रा को शुरू करने का उद्देश्य था कि जिस तरह आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर को पुनर्निमित किया गया, वैसे ही अयोध्या में भी मंदिर बनाया जाए।
लाल कृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद ये रथ यात्रा रुक गई थी। 2 साल बाद बाबरी विध्वंस हुआ। भारत सरकार ने लिब्रहान आयोग बनाया। 2009 को इस पूरे मामले की रिपोर्ट सौंपी गई। संसद में सरकार इस रिपोर्ट को रखने ही वाली थी कि एक मीडिया रिपोर्ट ने इससे जुड़ी कुछ बातें छाप दी।
लाल कृष्ण आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद ये रथ यात्रा रुक गई थी। 2 साल बाद बाबरी विध्वंस हुआ। भारत सरकार ने लिब्रहान आयोग बनाया, 2009 को इस पूरे मामले की रिपोर्ट सौंपी गई।
बाबरी विध्वंस को षड्यंत्रकारी बताने पर नाराज थे आडवाणी
लाल कृष्ण आडवाणी इस बात से नाराज थे क्योंकि लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी को बाबरी विध्वंस का षड्यंत्रकारी जा रहा था। आडवाणी का कहना था कि वो ये चाहते हैं कि राम मंदिर बने, लेकिन वो मस्जिद गिराने के पक्ष में नहीं थे। लाल कृष्ण आडवाणी इस बात से नाराज थे क्योंकि लाल कृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी को बाबरी विध्वंस का षड्यंत्रकारी जा रहा था। आडवाणी का कहना था कि वो ये चाहते हैं कि राम मंदिर बने, लेकिन वो मस्जिद गिराने के पक्ष में नहीं थे।