BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सहायक प्राध्यापक के पद में प्रतीक्षा सूची में नाम होने पर भी याचिकाकर्ता को नियुक्ति नही ंदेने के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में हुई। जिसमें हाईकोर्ट ने सीजीपीएसी को नोटिस जारी कर 60 दिनों के अंदर याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग को यह भी निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता की वरिष्ठता उन सहायक प्राध्यापकों के ठीक नीचे रखा जाएगा जो वर्ष 2009 की भर्ती प्रक्रिया में नियुक्ति हुई थी।
बता दें, याचिकाकर्ता दीप्ती पारधी ने प्रतीक्षा सूची से सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति की मां को लेकर अधिवक्ता मतीन सिद्धीकी व धनश्याम के माध्यम से याचिका दायर की। जिसमें बताया गया है कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न विषयों में सहायक प्राध्यापक के पदों के लिए 20 मई 2009 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। जिसमें सहायक प्राध्यापक इतिहास के लिए कुल 10 पद थे।
याचिकाकर्ता ने चयन प्रक्रिया में हिस्सा लिया। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण भी हुई। लिखित परीक्षा के बाद सीजीपीएसी ने सहायक प्राध्यापक के 10 पदों के लिए साक्षात्कार लिया। इसके बाद चयन सूची जारी की। सात अगस्त 2014 को सीजी पीएससी ने प्रतीक्षा सूची के साथ 10 उम्मीदवारों की संशोधित चयन सूची जारी की। प्रतीक्षा सूची में याचिकाकर्ता का नाम तीसरे क्रम में रखा गया। एक चयनिय अभ्यार्थी ने इस्तीफा दे दिया। और दो चयनिय अभ्यर्थी ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया।
उपरोक्त अभ्यर्थियों के त्यागपत्र देने व ज्वाइनिंग न करने के कारण तीन पद रिक्त थे। राज्य शासन ने सीजीपीएससी की प्रतीक्षा सूची ने नियुक्ति के लिए अभ्यावेदन प्रस्तुत किया। उच्च शिक्षा विभाग ने मंत्रालय से सीजीपीएस को पत्र भेजकर सहायक प्राध्यापक के पद पन नियुक्ति एवं दो अन्य अभ्यार्थियों के नाम प्रतीक्षा सूची से मंजूरी के लिए भेजा। कोर्ट ने याचिका को स्वीकारक र उच्च शिक्षा विभाग एवं सीजी पीएससी को आदेश प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से 60 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने का आदेश दिया है।
प्रतीक्षा सूची की वैधता समाप्त बताया था
सीजीपीएससी ने सहायक प्राध्यापक के पद पर याचिकाकर्ता का नाम प्रतीक्षा सूची से नियुक्ति के लिए मंजूरी नहीं दी और कहा कि प्रतीक्षा सूची की वैधता समाप्त हो गई है एवं एक अभ्यर्थी ने सेवा में कार्यभार ग्रहण कर इस्तीफा दिया है। लिहाजा उस पद को रिक्त नहीं माना जाता है। इसलिए याचिकाकर्ता का प्रतीक्षा सूची से नियुक्ति के लिए पात्र नहीं है।