BILASPUR. पत्नी की हत्या करने वाले व्यक्ति ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसमें हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से कहा कि पत्नी की हत्या कर दिए हो। बाहर आकर क्या करोंगे। जहां है वहीं की रोटी खाइए। सरकारी मेहमान बनकर रहिए। डिवीजन बेंच ने उम्र को देखते हुए आजीवन कारावास की सजा को 10 साल में बदला।
बता दें, सरगुजा निवासी सत्यनारायण चेरवा ने विचारण न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए अपने अधिवक्ता के जरिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है। मामले की सुनवाई के बाद विचारण न्यायालय ने पत्नी की हत्या के आरोप में आजीवन करावास की सजा सुनाई थी। घटना के दिन पति-पत्नी दोनों साथ बैठकर शराब पी थी।
कुछ देर के बाद याचिकाकर्ता सत्यानारायण नहाने के लिए तालाब चला गया। आने के बाद पत्नी से खाना मांगा। तब तक पत्नी खाना नहीं बनाई पायी थी। इससे नाराज सत्यनारायण ने पत्नी को हाथ, मुक्के व डंडे से पिटाई करनी शुरू कर दी। पिटाई से उसकी पत्नी बुरी तरह घायल हो गई और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। पत्नी की हत्या के आरोप में पुलिस ने सत्यनारायण के खिलाफ धारा 302 के तहत जुर्म दर्ज कर जेल भेज दिया था। विचारण न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
कोर्ट ने की टिप्पणी
रिट याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस ने घटना के बारे में पूछा। साथ ही टिप्पणी की कि शराब पीने के लिए पैसा मांग रहा होगा। तब याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि दोनों एक साथ घर में बैठकर शराब पी रहे थे। शराब पीने के बाद याचिकाकर्ता नहाने चला गया था आने के बाद पत्नी से खाना मांगा। खाना नहीं बनाने पर पत्नी की पिटाई कर दी जिससे उसकी मौत हो गई। कोर्ट ने कहा कि शराब पीने के बाद इतनी जल्दी खाना कहा बना पाएगी।
कोर्ट ने दिखाई नरमी बदला फैसला
कोर्ट ने धारा 302 को बदलते हुए भादवि की धारा 409 में बदल दिया है। आजीवन कारावास की सजा को 10 साल में बदलते हुए याचिकाकार्ता की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने फैसले से पहले याचिकाकर्ता की उम्र जाननी चाहिए। 40 वर्ष की आयु जानकर संवेदना दिखाते हुए सजा को बदला गया।