BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में प्रदेश के बढ़ते प्रदूषण को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट कमिश्नर को रिपोर्ट देने कहा था। कमिश्नर ने प्रदेश भर के उद्योगों व कारखानों का निरीक्षण करते हुए रिपोर्ट पेश की है। जिसमें बताया गया है कि उद्योगों में प्रदूषण रोकने के कोई ठोस उपाय नहीं किए जा रहे है और न ही कामकारों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखने सुरक्षा व्यवस्था है। जिसके कारण कामगारों में फेफड़ों की बीमारी हो रही है।
बता दें, प्रदेश में संचालित होने वाले उद्योगों व कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को लगातार समस्याएं हो रही है। डस्ट के चलते सांस व फेफड़ों की बीमारियों से पीड़ित हो रहे है। ऐसे में हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई शुरू की है। कोर्ट ने पहले कमिश्नर को प्रदेश भर के कारखानों व उद्योगों का निरीक्षण कर रिपोर्ट देने कहा था। इसी पर कोर्ट कमिश्नर ने कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश की है। जिसमें कई बातें सामने आयी है। जिसकी सुनवाई की तारिख को 10 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया है।
कोर्ट कमिश्नरों ने किया उद्योगों का निरीक्षण
हाईकोर्ट में कई जनहित याचिका लगाई गई। जिसमें प्रदेश में संचालित हो रहे उद्योगों से उत्पन्न हो रहे प्रदूषण को रोकने व मजदूरों के लिए सुरक्षा मानकों की बात कहीं गई। जिसके लिए हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर प्रदेश भर के उद्योगों व कारखानों का दौरा करने कहा। जिसमें पांचों संभागों में कोर्ट कमीश्नर निरीक्षण करने पहुंचे। वहां पर सुरक्षा मानकों व प्रदूषण रोकने क्या उपाय किए जा रहे है सभी की बारिकी से जांच की। उसी आधार पर रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश किया।
मजदूर व आम पब्लिक भी हो रही बीमारी का शिकार
उद्योगों से निकलने वाले धुंए व धूल के अलावा डस्ट से सांस व फेफड़े की बीमारी मजदूरों को हो रही है। इसके अलावा जिस क्षेत्र में उद्योग है उस क्षेत्र के आम नागरिकों को भी फेफड़ों से संबंधित कई बीमारियां हो रही है।
सुरक्षा मानक को किया जा रहा अनदेखा
रिपोर्ट में उद्योगों में पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय नहीं किए जा रहे है। सुरक्षा मानकों को ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण ही बीमारियां हो रही है।