RAIPUR. छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में हो रही पेड़ों की कटाई और प्रभावित आदिवासियों पर पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में राजधानी रायपुर के मोतीबाग से अम्बेडकर चौक तक प्रतिरोध मार्च निकाला गया। इस मुद्दों पर विभिन्न संगठनों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर हस्तक्षेप का आग्रह किया। इन संगठनों ने हसदेव चलो का आह्वान करते हुए 7 जनवरी को यहां भी नागरिक प्रतिरोध मार्च निकालने का निर्णय लिया है। इधर हसदेव जंगल को बचाने छत्तीसगढ़ सहित देशभर में मुहिम चल रही है। वहीं हसदेव जंगल को राजनीति से दूर रखने की बातें भी कही जा रही है।
बता दें कि हसदेव अरण्य पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल है। इसके बावजूद पेसा कानून और आदिवासियों के तमाम संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए 21 दिसम्बर को सरगुजा में परसा ईस्ट केते बासन कोयला खदान परियोजना के फेस-II में वन भूमि में पेड़ों में कटाई शुरू कर दी गई है। इसका विरोध करने वाले प्रभावित आदिवासी समुदाय के लोगों और गांवों को पुलिस का पहरा बैठाकर बंधक बना लिया गया था। रायपुर से हसदेव जा रहे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के सदस्यों को भी बीच रास्ते पुलिस ने हिरासत में ले लिया| यह कटाई पूरे तीन दिनों तक चली है। जल, जंगल और जमीन बचाने संघर्षरत लोगों पर किये गए इस दमनात्मक कार्यवाही और हसदेव के विनाश के विरोध में इसके बाद से ही कई जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। सोशल मीडिया में भी अभियान चल रहा है। रायपुर में आयोजित नागरिक प्रतिरोध मार्च इसी श्रृंखला की एक कड़ी थी।
नागरिक प्रतिरोध मार्च के माध्यम से लोगों ने अपने ज्ञापन में राज्यपाल और राज्य सरकार से अपील की है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में हसदेव क्षेत्र को खनन मुक्त रखने संबंधी दिनांक 26 जुलाई 2022 को पारित अशासकीय संकल्प का पालन किया जाए। इस क्षेत्र की ग्राम सभाओं द्वारा खनन परियोजनाओं को सहमति न देने के मद्देनजर आबंटित सभी कोल ब्लॉक रद्द किए जाएं। ज्ञापन में बताया गया कि केंद्र सरकार के ही एक संस्थान भारतीय वन्य जीव संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हसदेव अरण्य में कोयला खनन से हसदेव नदी और बांगो बांध के अस्तित्व पर संकट होगा। प्रदेश में मानव हाथी संघर्ष इतना बढ़ जाएगा कि फिर कभी उसे संभाला नही जा सकता। इस रिपोर्ट के बाद भी हसदेव अरण्य में खनन परियोजनाओं को आगे बढ़ाना प्रदेश के लिए आत्मघाती कदम होगा।
हसदेव बचाने के लिए चल रहे आंदोलन का दमन कर रही है, जबकि गैरकानूनी स्वीकृति के खिलाफ हसदेव में आदिवासी समुदाय 665 दिनों से लगातार शांतिपूर्वक आन्दोलन कर रहा है| नागरिक प्रतिरोध मार्च में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (मजदूर कार्यकर्ता समिति), छत्तीसगढ़ किसान सभा, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, जोहर छत्तीसगढ़ पार्टी, नदी घाटी मोर्चा, क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच, छत्तीसगढ़ किसान महासभा, सीपीआई (एम एल) रेडस्टार महानदी बचाओ आंदोलन सहित विभिन्न संगठन और संवेदनशील नागरिक शामिल हुए।