BHILAI. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव अगले सप्ताह है। यहां दो चरणों में चुनाव होने वाला है जिसमें पहले चरण का मतदान 07 नवंबर को तो वही दूसरे चरण का मतदान 17 नवंबर को होने वाले है। दुर्ग जिले में नामांकन की आखरी तारीख को जहां सीएम बघेल सहित कांग्रेस के पांच प्रत्याशियों ने अपना नामांकन दाखिल किया। तो वही भाजपा पार्टी से टिकट पाने के लिए पूरी उम्मीद लगाए बैठे वैशाली नगर के दो प्रत्याशियों ने इस दिन अपना निर्दलीय नामांकन दाखिल किया। इसमें जेपी यादव और डॉ. संगीता केतन शाह शामिल है।
दोनों बागी थे बी फॉर्म के उम्मीद में
दरअसल, वैशाली नगर विधानसभा से भाजपा ने रिकेश सेन को अपना प्रत्याशी पेश किया है। कई दिनों तक चली बगावत और कश्मकश के बाद नामांकन के आखरी दिन भाजपा जिला अध्यक्ष बृजेश बिचपुरिया द्वारा रिकेश सेन के नाम पर बी फॉर्म जमा किया गया। इसके बाद यह बिलकुल साफ हो गया कि वैशाली नगर से रिकेश सेन का नाम वापस नही लिया जाएगा।
दोनों ही बागियों ने भाजपा से दिया इस्तीफा
आपको बता दें, नामांकन के आखरी दिन भाजपा प्रत्याशी रिकेश सेन के नाम पर बी फॉर्म जमा होने के बाद दोनों ही बागियों ने भाजपा से अपना इस्तीफा दे दिया है। जहां एक ओर जेपी यादव ने भिलाई जिला के ज़िला मंत्री, प्रदेश मीडिया पेनलिस्ट, जिला प्रभारी मीडिया विभाग, जिला संयोजक बुथ सशक्तीकरण अभियान जिला भिलाई, प्रदेश कार्यालय से सम्पर्क विभाग के साथ–साथ अपने सभी पार्टी प्रदत्त दायित्त्वों से अपना त्यागपत्र प्रेषित किया। तो वही दूसरी ओर भाजपा की बागी प्रत्याशी डॉ. संगीता केतन शाह ने भी आज भाजपा पार्टी से अपनी सदस्यता एवं प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य और महिला मोर्चा के पद से इस्तीफा दे दिया है। नामांकन के बाद निर्दलीय प्रत्याशी संगीता केतन शाह को सेब चुनाव चिन्ह दिया गया है। तो वही जेपी यादव को अलमारी चुनाव चिन्ह दिया गया है।
वैशाली नगर प्रत्याशी का बागियों को लेकर तंज
बी फॉर्म के बाद भाजपा प्रत्याशी रिकेश सेन ने भाजपा के बागी प्रत्याशियों पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि फॉर्म के जमा होने के बाद इसे लेकर हल्ला उड़ाने वालों को अब भाजपा की रीति-नीति समझ आ गई होगी।
कांग्रेस को मिल सकता है फायदा
भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले से से दोनों ही बागी प्रत्याशियों को बड़ा झटका लगा है पर फिर भी वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में डटे हुए हैं। बागियों का यह कदम कही न कही आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल बन सकता है। तो वही कांग्रेस को इससे बड़ा फायदा मिल सकता है।