BILASPUR.ठंड में मुसाफिरों व राहगिरों को नगर निगम की ओर से लकड़ी देकर आग जलाया जाता था। लेकिन इस बार लकड़ी के बजाए गोकाष्ठ का इस्तेमाल किया जाएगा। गोकाष्ठ का प्रयोग करने से न सिर्फ पर्यावरण में लकड़ी के दोहन कम होंगे साथ ही गोकाष्ठ से कई तरह के बीमारियां भी दूर होती है। इसके साथ ही गोकाष्ठ से स्वसहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक मदद मिलेगी।
बता दें, गोठानों को संचालित करने वाली स्व सहायता समूह को आर्थिक रूप से बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही गोकाष्ठ का निर्माण कराया जा रहा है ताकि उसकी बिक्री से उन्हें आर्थिक मदद मिले। इसी को ध्यान में रखते हुए ठंड बढ़ने के साथ शहर के चौक-चौराहों में मुसाफिरों व बेसहारों के लिए जलाए जाने वाले अलाव में इस बार भी लकड़ी के बजाए गोबर से बने गोकाष्ठ का उपयोग किया जाएगा।
पेड़ों की कटाई नहीं होगी
गोकाष्ठ का इस्तेमाल करने से कई तरह के लाभ होते है। जिसको ध्यान में रखते गोकाष्ठ का ही इस्तेमाल अधिक करने की सलाह भी दी जा रही है। लकड़ी का इस्तेमाल करने से लकड़ी जंगल से पेड़ काटकर या पेड़ों की कटाई से लाया जाता था। अब गोकाष्ठ के कारण ये बंद हो रहा है। वहीं गोबर का भी इस्तेमाल बढ़ रहा है।
30 क्विंटल से अधिक की खपत
गोकाष्ठ का इस्तेमाल प्रतिदिन 30 क्विंटल से अधिक होता है। पिछले साल अलाव के लिए जलाए जाने वाले गोकाष्ठ में 30 क्विंटल से अधिक लगता था। इस बार यदि ठंड अधिक रहेगी तो इसमें वृद्धि हो सकती है। इसकी कीमत प्रतिकिलो 10 रूपये है। जो लकड़ी के मुकाबले काफी कम हैै।