RAIPUR. छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव इस बार तमाम लोगों की समझ से परे है। लगातार हो रही उथल-पुथल, अंदरखाने चल रही जोड़तोड़ की राजनीति और नए-नए वादों से पलड़ कभी इधर तो कभी उधर होता दिख रहा है। राजनीति की समझ रखने वाले भी इस बार के चुनावी नतीजों को लेकर दावे के साथ कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं।
दुर्ग जिले की 6 सीटों पर तो भी कमोबेश यही हाल है। जिन विधानसभाओं में कल तक मामला एकतरफा लग रहा था, आज उनमें कड़ी टक्कर की स्थिति है। और जिन विधानसभाओं में कड़ी टक्कर की बात मानी जा रही थी, उनमें अब मामला एकतरफा होता जा रहा है। सबसे रोचक बात ये है कि जिले की कुछ विधानसभा तो ऐसी हैं, जहां प्रत्याशी ही चुनाव लड़ने के मोड में नहीं आ पाए हैं, जबकि 17 नवंबर को मतदान होना है।
कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दलों में टिकट वितरण के बाद कुछ विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की नाराजगी की बात सामने आई थी। पार्टी ने मनाने की कोशिश की या नहीं, यह बात अब पीछे छूट गई है। आज स्थिति ये है कि कांग्रेस से कुछ ने पार्टी छोड़ दी तो बीजेपी से पार्टी छोड़ने के बाद दावेदारी भी ठोक दी है। जिले की दो विधानसभा ऐसी हैं, जिनमें एक जगह कांग्रेस और दूसरी जगह बीजेपी के प्रत्याशी को अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का सहयोग नहीं मिल रहा।
पक्के सूत्र बताते हैं कि इन दोनों प्रत्याशियों का एक अच्छा खासा वक्त आज भी अपने ही दल के नेताओं की मान मनौव्वल में निकल जा रहा है। एक विधानसभा तो ऐसी है, जहां बीजेपी प्रत्याशी के लिए गड्ढा खोदने में उन्हीं की पार्टी के नेता प्राण-पण से जुटे हैं। हालांकि इसी विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी अपने पुरखों के सामाजिक कार्यों को गिनाकर लोगों को नाराज कर कर रहे हैं। बहरहाल इस विधानसभा में पहले जहां मुकाबला एकतरफा था, वो अब कांटे की टक्कर की ओर बढ़ रहा है।
इसके अलावा जिले की एक अन्य विधानसभा में स्थिति रोचक बनी हुई है। यहां प्रमुख दल के प्रत्याशी को समर्थक ही नहीं मिल रहे। पार्टी पदाधिकारी और कार्यकर्ता पीछे हट गए हैं। बताया जा रहा है कि अब प्रत्याशी का भी मन चुनाव लड़ने का नहीं दिख रहा है। ऐसे में प्रतिद्वंद्वी की स्थिति काफी मजबूत हो गई है। जबकि टिकट मिलने पर चर्चा थी कि इस बार नेताजी का निपटना तय है। प्रमुख दलों के कुछ प्रत्याशी तो ऐसे हैं, जो अभी तक एक बडी जनता को ये नहीं बता पाए कि वे चुनाव लड़ रहे हैं।
किसी विधानसभा में तीसरे की जगह नहीं
जिले की सभी 6 विधानसभा में दो प्रत्याशियों के बीच ही मुकाबला दिख रहा है। बाकी प्रत्याशी महज डमी का काम कर रहे हैं। इनकी भूमिका केवल वोट काटने तक सीमित है। चर्चा तो ये भी है कि ऐसे प्रत्याशी सेट हो चुके हैं।