BILASPUR.हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति के बाद पे ग्रेड में लाभ नहीं देने मामले में बड़ा फैसला किया है। राज्य शासन से इस विषय पर जवाब भी मांगा है कि आखिरकार असिस्टेंट प्रोफेसर्स को नियुक्ति के बाद पे ग्रेड का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता 160 असिस्टेंट प्रोफेसरों को राहत दी है। यह पे ग्रेड न मिलने वाले इन असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए खुशी की बात है।
बता दें, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने 878 सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिए 20 मई 2019 को आवेदन आमंत्रित किया था। लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के बाद योग्य उम्मीदवारों का चयन कर प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में नियुक्ति दी। चयन के दौरान 30 मार्च 2010 के नियमानुसार सहायक प्राध्यापकों के लिए ग्रेड पे का प्रावधान किया गया था।
इसके तहत नियमित सेवा के चार वर्ष बाद पीएचडी उपाधिक धारकों को सात हजार ग्रेड पे देने का उल्लेख किया गया है। एमफिल उपाधि धारकों के लिए यह अवधि पांच वर्ष व अन्य के लिए 6 साल है। साल 2012 में प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में पदस्थ करीब 160 सहायक प्राध्यापको को पे ग्रेड का लाभ नहीं दिया गया। जिसके खिलाफ उन्होंने वकीलों के माध्यम से हाईकोर्ट में 16 याचिकाएं दायर की है। इसी याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है।
समयमान व वेतनमान का भी लाभ नहीं मिल रहा
याचिकाकर्ता सहायक प्राध्यापकों ने अपनी याचिका में बताया है कि उच्च शिक्षा विभाग शासन का ऐसा विभाग है जहां न दूसरे सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों की तरह उन्हें प्रमोशन दिया जा रहा है और न ही समयमान व वेतनमान दिया जा रहा है। नियम के साथ ही बाध्यता नहीं होने से कई सहायक प्राध्यापक इसी पद पर चयनित होकर उसी पद से रिटायर्ड हो जाते है। उन्हें पदोन्नति का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।