BILASPUR. चार माह के लंबे अंतराल के बाद गुरूवार को देवउठनी एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु योग निंद्रा से जागेंगे। इसके बाद शालीग्राम रूम में तुलसी माता से विवाह रचाएंगे। इसके साथ ही चार्तुमास का समापन होगा और विवाह के कार्यक्रमों की शुरूआत हो जाएगी। विवाह का सिलसिला शुरू हो जाएगा। वर-वधु विवाह के बंधन में बंधेंगे व शुभकार्यों की शुरूआत हो जाएगी।
बता दें, देवशयनी एकादशी के बाद से श्री हरि विष्णु योग निंद्रा में थे। माना जाता है कि इस दौरान वे क्षीरसागर में विश्राम करते है। इस दौरान शुभ व मांगलिक कार्य नहीं होते है। भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनहार कहते है चार्तुमास के दौरान महादेव देखभाल करते है। चार माह पूर्ण होते ही देवउठनी एकादशी के दिन से ही एक बार फिर से मांगलिक कार्यों की शुरूआत होती है।
मंदिरों में गूंजेंगे उठो देव के स्वर
देवउठनी एकादशी के दिन सभी मंदिरों में देवताओं को उठाने की विधि पूरी की जाती है। विधि-विधान से देव उठनी की विधि करेंगे। जिसमें पंडित व पुजारी देवताओं को उठो देव, जागो देव कहकर आवाह्न करेंगे।
घर-घर सजेगा गन्ने का मंडप
देवउठनी एकादशी के दिनों घरों में बेटी स्वरूपा तुलसी की विवाह कराई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन हर घर में गन्ने का मंडप सजाकर हल्दी, कुमकुम, वस्त्राभूषण अर्पित करते हुए तुलसी विवाह की विधि पूरी की जाएगी। साथ ही साथ घरों में दिपोत्सव की तरह दीप जालकर पूजा-अर्चना की जाएगी।
अबूझ मुहूर्त है विवाह की
माना जाता है कि इस दिन विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त होता है। जिसे शुभ माना जाता है। इस वजह से आज कई वर-वधु विवाह के बंधन में भी बंधेंगे और कई के फलदान व सगाई की रस्म भी होगी।