BILASPUR. रेलवे में नौकरी को लेकर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। दरअसल, जमीन के एवज में परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के नियम के तहत हाई कोर्ट के जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल ने पोती को भी हकदार माना है। बता दें कि जमीन मालिक की मौत हो चुकी है, उनका बेटा मेडिकल टेस्ट में अनफिट मिला था, इसके बाद पोती ने नौकरी के लिए आवेदन किया था, जिसे एसईसीआर प्रबंधन ने निरस्त कर दिया था। केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने पोती को नौकरी देने के आदेश दिए थे, जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की गई थी।
जानकारी के अनुसार एसईसीआर ने चांपा बायपास रेलवे लाइन के निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहित की थी, इसमें जनक राम और मालिक राम के नाम पर दर्ज 0.105 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया। प्रक्रिया पूरी होने के बाद एसडीएम चांपा और भू अर्जन अधिकारी ने प्रमाण पत्र भी जारी किया। रेलवे के नियमों के अनुसार जमीन अधिग्रहण के बदले एक सदस्य को नौकरी दी जानी थी। जमीन के मालिक जनक राम ने नौकरी के लिए अपने बेटे ओमप्रकाश राठौर को नामांकित किया, लेकिन मेडिकल टेस्ट में ओमप्रकाश को अनफिट घोषित कर दिया गया। इसके बाद उनकी बेटी यानी जनकराम की पोती हिना ने नौकरी के लिए आवेदन किया। रेलवे ने 11 अगस्त 2021 को आवेदन को नियमों का हवाला देते हुए खारिज कर दिया। इसके बाद केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, जबलपुर में मामला प्रस्तुत किया गया।
याचिकाकर्ता को नियमों के अनुसार नौकरी देने पर करें विचार
हाई कोर्ट ने आदेश में 2 सितंबर 2011 को जारी की गई अधिसूचना का उद्देश्य जमीन अधिग्रहण से प्रभावित परिवार के सदस्य को आजीविका के लिए नौकरी देना है। अधिसूचना के अनुसार बेटा, बेटी, पति और पत्नी को नामांकित किया जा सकता है, लेकिन ऐसे मामले जहां इन चारों में से कोई भी नौकरी के लिए उपलब्ध नहीं है, वहां पोता- पोती को नौकरी देने पर विचार किया जा सकता है। इस आधार पर हाई कोर्ट ने रेलवे की अपील खारिज कर दी है। साथ ही एसईसीआर के जीएम को याचिकाकर्ता को नियमों के अनुसार नौकरी देने पर विचार करने को कहा है।