INDORE. प्रदोष की तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने से विशेष कृपा मिलती है। खासतौर पर सावन में इस तिथि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इंदौर के ज्योतिषाचार्य पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि सावन के प्रदोष में भगवान शिव का जलाभिषेक करने, व्रत करने और पूरी विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि की कोई कमी नहीं होती है।
सावन का दूसरा प्रदोष व्रत 30 जुलाई रविवार को रखा जाएगा। पंचाग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस बार ये तिथि 30 जुलाई को सुबह 10.34 मिनट से 31 जुलाई को सुबह 7.19 मिनट तक हैं। प्रदोष काल शाम 7 बजकर 14 मिनट से रात 9 बजकर 29 मिनट तक है।
प्रदोष व्रत का महत्व
इस बार रविवार को प्रदोष होने की वजह से इसे रवि प्रदोष कहा जाएगा। इस दिन भोलेनाथ की उपासना करने से सुखों की वृद्धि होती और जातक भय और रोग से मुक्ति पाता है। इस दिन महादेव के जलाभिषेक से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
पंडित गिरीश व्यास बताते हैं कि जिनकी कुंडली में चंद्र दोष होता है, उन्हें भी प्रदोष का व्रत करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली में मौजूद चंद्रमा की स्थित मजबूत होती है। चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए प्रदोष व्रत रखन से मन की बेचैनी दूर होती है और मन शांत रहता है।
ऐसे करें प्रदोष व्रत में पूजा
प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के ठीक पहले करना अच्छा माना जाता है। माता पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय और नंदी के साथ भगवान शंकर को पूजा जाता है। उसके बाद आह्वान कर कलश की स्थापना की जाती है। कमल बने और जल से भरे कलश को दुर्वा पर स्थापित करनी चाहिए। अनुष्ठान के बाद प्रदोष कथा या शिव पुराण सुनते हैं.